चलें प्रकृति की ओर,दादी नानी की सुझाई रामबाण औषधियाँ दोहो में।
अश्वगंधा (असगंध)
चूर्ण ग्राम असगंध दो करें शहद सह योग।
जो पीपल के साथ लें, दूर हटे क्षय रोग।।
मुलहठी (यष्टिमधु)
प्रतिरोधक क्षमता बढ़े, श्वांसकास हितकार।
जेष्टमधी सेवन करें, वैद्यक नियम विचार।
ब्राह्मी
ब्राह्मी औषध गुण भरी, काटे कई विकार।
बुद्धि वृद्धिकर योग है, बहुल व्याधि प्रतिकार।।
अशोक
पथरी सूजन दर्द को, करता दूर अशोक।
महिला रोगों के लिए,नाम बड़ा इस लोक।।
नीम (निम्ब)
नीम गुणों की खान है, सहज करो सब प्राप्त।
अमृत तुल्य ये पेड़ है, भारत भू पर व्याप्त।।
सहजन
सहजन का हर भाग ही, पौष्टिकता का नाम।
स्वाद सदा उत्तम लगे, और न्यून है दाम।।
तुलसी
पूजनीय यह पौध है, तुलसी गुण की खान।
वात पित्त कफ में सदा, रामबाण ही मान।।
भृंगराज
भृंगराज सेवन करो, रोग त्वचा के दूर।
बालों को अमृत मिले, उदर रोग चकचूर ।।
गिलोय (गुडूचि, अमृता)
तापमान तन का घटा, ज्वर में दे आराम।
जीर्ण शीर्ण हो देह भी, करती अमृता काम।।
शतावरी (शतावर)
गर्भवती सेवन करे, यदि शतावरी चूर्ण।
संग सोंठ अजगंध हो, स्वस्थ रहेगा भूर्ण।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'