युग प्रवर्तक ,साहित्य शिरोमणि,
आधुनिक हिंदी कहानी के पितामह, उपन्यास सम्राट
मुंशी प्रेमचंद।
अगर आपके पास थोडा सा हृदय है तो क्या मजाल की मुंशी जी की कृतियां आपकी आँखें ना भिगो पाये, जीवन के विविध रूपों के हर पहलूओं पर उन्होंने जो चित्र उकेरे हैं वो विलक्षण है ।
उन्होंने कथा ,उपन्यासों को मनोरंजन,तिलिस्म और फंतासी से बाहर निकाल सीधे यथार्थ के धरातल पर खडा कर दिया । यथार्थ भी ऐसा जिससे आभिजात्य कहलाने वाला वर्ग अनजान था या कन्नी काट रहा था ।
उनकी रचनाओं में दर्द ऐसे उभर कर आता है कि सारे बदन में सिहरन भर देता है, इस कठोर सत्य को पढने में भी उकताहट कहीं हावी नही होती, रोचकता से प्रवाह में बहता लेखन ,सहज व्यंग और हल्का हास्य का पुट पाठक को बाँधे रखता है ।
उन्होनें आम व्यक्ति की समस्याओं भावनाओं और परिस्थितियों का इतना मार्मिक वर्णन किया है कि यह कह सकते हैं उनका साहित्य संसार, हिन्दुस्तान के सबसे विशाल तबके का संसार है।
प्रेम चंद का साहित्य का महत्व भारत में ही नही विदेशों में भी समादृत है।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'