तीन क्षणिकाएं
मन
मन क्या है? एक द्वंद का भंवर है,
मंथन अनंत बार एक से विचार है,
भंवर उसी पानी को अथक घुमाता है,
मन उन्हीं विचारों को अनवरत मथता है।
अंहकार
अंहकार क्या है? एक मादक नशा है,
बार बार सेवन को उकसाता रहता है,
मादकता बार बार सर चढ बोलती है,
अंहकार सर पर ताल ठोकता रहता है।
क्रोध
क्रोध क्या है? एक सुलगती अगन है,
आग विनाश का प्रति रुप जब धरती है,
जलाती आसपास और स्व का अस्तित्व है,
क्रोध अपने से जुड़े सभी का दहन करता है।
कुसुम कोठारी।
मन
मन क्या है? एक द्वंद का भंवर है,
मंथन अनंत बार एक से विचार है,
भंवर उसी पानी को अथक घुमाता है,
मन उन्हीं विचारों को अनवरत मथता है।
अंहकार
अंहकार क्या है? एक मादक नशा है,
बार बार सेवन को उकसाता रहता है,
मादकता बार बार सर चढ बोलती है,
अंहकार सर पर ताल ठोकता रहता है।
क्रोध
क्रोध क्या है? एक सुलगती अगन है,
आग विनाश का प्रति रुप जब धरती है,
जलाती आसपास और स्व का अस्तित्व है,
क्रोध अपने से जुड़े सभी का दहन करता है।
कुसुम कोठारी।