तीन क्षणिकाएं
मन
मन क्या है? एक द्वंद का भंवर है,
मंथन अनंत बार एक से विचार है,
भंवर उसी पानी को अथक घुमाता है,
मन उन्हीं विचारों को अनवरत मथता है।
अंहकार
अंहकार क्या है? एक मादक नशा है,
बार बार सेवन को उकसाता रहता है,
मादकता बार बार सर चढ बोलती है,
अंहकार सर पर ताल ठोकता रहता है।
क्रोध
क्रोध क्या है? एक सुलगती अगन है,
आग विनाश का प्रति रुप जब धरती है,
जलाती आसपास और स्व का अस्तित्व है,
क्रोध अपने से जुड़े सभी का दहन करता है।
कुसुम कोठारी।
मन
मन क्या है? एक द्वंद का भंवर है,
मंथन अनंत बार एक से विचार है,
भंवर उसी पानी को अथक घुमाता है,
मन उन्हीं विचारों को अनवरत मथता है।
अंहकार
अंहकार क्या है? एक मादक नशा है,
बार बार सेवन को उकसाता रहता है,
मादकता बार बार सर चढ बोलती है,
अंहकार सर पर ताल ठोकता रहता है।
क्रोध
क्रोध क्या है? एक सुलगती अगन है,
आग विनाश का प्रति रुप जब धरती है,
जलाती आसपास और स्व का अस्तित्व है,
क्रोध अपने से जुड़े सभी का दहन करता है।
कुसुम कोठारी।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 01 अक्टूबर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसादर आभार आपका पांच लिंक में रचना को शामिल करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया।
Deleteसच दी बेहद सटीक एवं सारगर्भित व्याख्या है शब्दों की।
ReplyDeleteबहुत सुंदर कम शब्दों में अधिकतम भाव व्यक्त करती सराहनीय अभिव्यक्ति दी।
बहुत बहुत आभार प्रिय श्वेता आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए।
Deleteसस्नेह।
सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteहट्टी, अंहकारी और क्रोधी की सटीक व्याख्या।
पधारे शून्य पार
व्याख्यात्मक प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार।
Deleteसादर।
बेहतरीन सृजन दी |
ReplyDeleteमन, अहंकार, क्रोध.... वाह !लाज़बाब
बहुत बहुत आभार प्रिय बहन ।
Deleteवाह सखी 🌹मन, अहंकार, क्रोध पर बहुत सुंदर प्रस्तुति। बेहतरीन
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