सुर और साज
एक सुर निकला उठ चला
जाके विधाता से तार मिला।
संगीत में ताकत है इतनी
साज से उठा दिल में मचला
मस्तिष्क का हर तार झनका
गुनगुन स्वर मध्धम सा चला
दुखियों के दुख भी कम करता
सुख में जीवन सुरंग रंग भरता।
एक सुर..........
मधुर-मधुर वीणा बजती
ज्यों आत्मा तक रस भरती
सारंगी की पंचम लहरी
आके हिया के पास ठहरी
सितार के सातों तार बजे
ज्यों स्वर लहरी अविराम चले।
एक सुर..........
ढोलक धुनक-धुनक डोली
चल कदम ताल मिलाले बोली
बांसुरी की मोहक धुन बाजी
ज्यों माधव ने मुरली साजी
जल तरंग की मोहक तरंग
झरनो की कल कल अनंग।
एक सुर..........
तबले की है थाप सुहानी
देखो नाचे गुडिया रानी
मृदंग बोले मीठे स्वर में
मीश्री सी घोले तन उर में
एक तारा जब प्यार से बोले
भेद जीया के सारे खोले।
एक सुर......…..
पेटी बाजा बजे निराला
सप्त सुरों का सुर प्याला
और नगाड़ा करता शोर
ताक धिना-धिन नाचे मन-मोर
और बहुत से साज है खनके
सरगम का श्रृंगार बनके।
एक सुर.... .....
कुसुम कोठारी ।
एक सुर निकला उठ चला
जाके विधाता से तार मिला।
संगीत में ताकत है इतनी
साज से उठा दिल में मचला
मस्तिष्क का हर तार झनका
गुनगुन स्वर मध्धम सा चला
दुखियों के दुख भी कम करता
सुख में जीवन सुरंग रंग भरता।
एक सुर..........
मधुर-मधुर वीणा बजती
ज्यों आत्मा तक रस भरती
सारंगी की पंचम लहरी
आके हिया के पास ठहरी
सितार के सातों तार बजे
ज्यों स्वर लहरी अविराम चले।
एक सुर..........
ढोलक धुनक-धुनक डोली
चल कदम ताल मिलाले बोली
बांसुरी की मोहक धुन बाजी
ज्यों माधव ने मुरली साजी
जल तरंग की मोहक तरंग
झरनो की कल कल अनंग।
एक सुर..........
तबले की है थाप सुहानी
देखो नाचे गुडिया रानी
मृदंग बोले मीठे स्वर में
मीश्री सी घोले तन उर में
एक तारा जब प्यार से बोले
भेद जीया के सारे खोले।
एक सुर......…..
पेटी बाजा बजे निराला
सप्त सुरों का सुर प्याला
और नगाड़ा करता शोर
ताक धिना-धिन नाचे मन-मोर
और बहुत से साज है खनके
सरगम का श्रृंगार बनके।
एक सुर.... .....
कुसुम कोठारी ।
मधुर-मधुर वीणा बजती
ReplyDeleteज्यों आत्मा तक रस भरती
सारंगी की पंचम लहरी
आके हिया के पास ठहरी
दिल के तारो को छेड़ती प्यारी रचना ,सादर नमन कुसुम जी
बहुत बहुत आभार कामिनी जी आपकी मोहक प्रतिक्रिया से रचना को प्रवाह मिला।
Deleteसस्नेह।
आपका काव्य सृजन हृदय को झंकृत कर देता है। एक विशेष प्रकार की कोमलता होती है। जो मुझे अच्छी लगती है।
ReplyDeleteप्रणाम दी,एक और उत्कृष्ट रचना के लिए आभार भी..।
बहुत बहुत आभार आपका शशिभाई ,आपकी मनमोहक प्रतिक्रिया सदा मेरा उत्साह वर्धन करती है।
Deleteसस्नेह।
बेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteजी बहुत सा आभार आपका।
Deleteउत्साहवर्धन के लिए।
वाह ,संगीत के कितने उपकरण सुर में सुर मिलाए तान उठा रहे हैं.
ReplyDeleteजी सुंदर मधुरम मधुरम आपकी स्नेह प्रतिक्रिया से उत्साह वर्धन हुआ।
Deleteसादर।
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (28-09-2019) को " आज जन्मदिन पर भगत के " (चर्चा अंक- 3472) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
बहुत बहुत आभार चर्चामंच सदा मेरा उत्साह वर्धन करता है
Deleteमेरी उपस्थिति देर सबेर बिल्कुल पक्की है।
सादर आभार।
aahaa...itni pyaari bhaash au utnaa hi pyaara unka pryog
ReplyDeletebahut hi saarthak aur pyaari rchnaa hui he
ढोलक धुनक-धुनक डोली
चल कदम ताल मिलाले बोली
बांसुरी की मोहक धुन बाजी
ज्यों माधव ने मुरली साजी
kaanhaa ke aagman se rchnaa aur bhi shobhaamaan ho gyi
bdhaayi
ज़ोया जी आपकी सरनेम सिक्त मनभावन प्रतिक्रिया से मन को खुशी ही नहीं लेखन को प्रवाह मिलता है ।
Deleteसदा स्नेह बनाएं रखें।
सस्नेह।
वाह आदरणीया दीदी जी
ReplyDeleteधुनकती,खनकती,छनकती साज़ों से सजी इस सुरमयी महफ़िल ने तो मन मोह लिया
बहुत सुंदर सृजन 👌
सादर नमन
वाह प्रिय आंचल आपके आने भर से मुझे प्रसन्नता होती है, उस पर आपकी मोहक टिप्पणी सदा उत्साह वर्धकहोती है ।
Deleteसस्नेह।
संगीत में ताकत है इतनी
ReplyDeleteसाज से उठा दिल में मचला
मस्तिष्क का हर तार झनका
गुनगुन स्वर मध्धम सा चला
दुखियों के दुख भी कम करता
सुख में जीवन सुरंग रंग भरता।
एक सुर..........
बहुत ही बेहतरीन रचना सखी 👌👌
सखी आपकी नियमित उपस्थिति सदा हर्षित करती है और उत्साह बढ़ाती है ।
Deleteसस्नेह आभार आपका।
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
३० सितंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
लाजवाब रचना।
ReplyDeleteसुर और संगीत बिना दुःख कम कौन करे
या सुख में हमें झुमाये कौन ।
संगीत में ताकत है इतनी
ReplyDeleteसाज से उठा दिल में मचला
मस्तिष्क का हर तार झनका
गुनगुन स्वर मध्धम सा चला
दुखियों के दुख भी कम करता
सुख में जीवन सुरंग रंग भरता।
एक सुर..........वाह दी बेहतरीन सृजन
सादर
बहुत सुंदर प्रस्तुति सखी।
ReplyDelete