Followers

Wednesday, 11 September 2019

नंदन कानन

नंदन कानन

नंदन कानन महका आज मन में
श्वेत पारिजात महके तन मन में ।
फूल कुसमित,सुरभित चहुँ दिशाएं
द्रुम  दल  शोभित वन उर,  मन में ।
मलय सुगंधित  उडी पवन संग ,
देख घटा, पादप विहंसे निज मन में ।
कमल कुमुदिनी हर्षित हो सरसे ,
धरा हरित चुनर ओढ़, मुदित है मन में।
जल प्रागंण निज रूप संवारे लतिका,
निरखी निरखी लजावे मन में ।
कंचन जैसो नीर सर  सरसत
आज सखी नव राग है मन में ।

         कुसुम  कोठारी।

15 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर सृजन दी जी 👌
    मलय सुगंधित उडी पवन संग ,
    देख घटा, पादप विहंसे निज मन में ।
    कमल कुमुदिनी हर्षित हो सरसे ,
    धरा हरित चुनर ओढ़, मुदित है मन में।
    जल प्रागंण निज रूप संवारे लतिका,
    निरखी निरखी लजावे मन में ।...ज़बाब नहीं आप का
    बेहतरीन और बेहतरीन
    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत सा स्नेह प्रिय अनिता आपकी मनभावन प्रतिक्रिया से लेखन को प्रवाह और उत्साह मिला ।
      सस्नेह।

      Delete
  2. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना गुरुवार १२ सितंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार पांच लिंक में रचना का आना सदा सम्मान जनक और आनंद कारी है मेरे लिए।
      सादर सस्नेह।

      Delete
  4. वाह आदरणीया दीदी जी
    शब्द तो जैसे चुन चुन कर लायी हैं आप जिसकी खुशबू से सबके मन को महका दिया आपने
    बेहद खूबसूरत रचना
    सादर नमन

    ReplyDelete
  5. बहुत सा आभार प्रिय बहन आपकी सराहना से मन खुश सुधा ।और लेखन को प्रवाह मिला ।
    सस्नेह।

    ReplyDelete
  6. वाह ...लाजवाब लेखन सखी 👌👌👌

    ReplyDelete
  7. बहुत ही सुंदर प्रस्तूति, कुसुम दी।

    ReplyDelete
  8. आख‍िर आपने इन शब्दों से हमारे मन में भी पार‍िजात महका ही द‍िए ... बहुत खूब कुसुम जी

    ReplyDelete
  9. फूलों सी महकती बेहतरीन रचना सखी

    ReplyDelete
  10. आ0अति उत्तम सृजन किया है आपने

    ReplyDelete
  11. नंदन कानन महका महका...
    बहुत ही खूबसूरत शुरुआत.... मनमोहक सृजन
    वाह!!!

    ReplyDelete
  12. निराला की याद आ गई ...
    माँ की अर्चना ... प्राकृति का सौन्दर्य शब्द शब्द खुशबू में बस गया जैसे ...

    ReplyDelete
  13. नंदन कानन महका आज मन में
    श्वेत पारिजात महके तन मन में ।
    फूल कुसमित,सुरभित चहुँ दिशाएं
    द्रुम दल शोभित वन उर, मन में ।
    छायावाद की याद ताजा कराती रचना प्रिय कुसुम बहन | कोमल शब्दावली अत्यंत मन मोहक है |सस्नेह --

    ReplyDelete