नंदन कानन
नंदन कानन महका आज मन में
श्वेत पारिजात महके तन मन में ।
फूल कुसमित,सुरभित चहुँ दिशाएं
द्रुम दल शोभित वन उर, मन में ।
मलय सुगंधित उडी पवन संग ,
देख घटा, पादप विहंसे निज मन में ।
कमल कुमुदिनी हर्षित हो सरसे ,
धरा हरित चुनर ओढ़, मुदित है मन में।
जल प्रागंण निज रूप संवारे लतिका,
निरखी निरखी लजावे मन में ।
कंचन जैसो नीर सर सरसत
आज सखी नव राग है मन में ।
कुसुम कोठारी।
नंदन कानन महका आज मन में
श्वेत पारिजात महके तन मन में ।
फूल कुसमित,सुरभित चहुँ दिशाएं
द्रुम दल शोभित वन उर, मन में ।
मलय सुगंधित उडी पवन संग ,
देख घटा, पादप विहंसे निज मन में ।
कमल कुमुदिनी हर्षित हो सरसे ,
धरा हरित चुनर ओढ़, मुदित है मन में।
जल प्रागंण निज रूप संवारे लतिका,
निरखी निरखी लजावे मन में ।
कंचन जैसो नीर सर सरसत
आज सखी नव राग है मन में ।
कुसुम कोठारी।
बहुत ही सुन्दर सृजन दी जी 👌
ReplyDeleteमलय सुगंधित उडी पवन संग ,
देख घटा, पादप विहंसे निज मन में ।
कमल कुमुदिनी हर्षित हो सरसे ,
धरा हरित चुनर ओढ़, मुदित है मन में।
जल प्रागंण निज रूप संवारे लतिका,
निरखी निरखी लजावे मन में ।...ज़बाब नहीं आप का
बेहतरीन और बेहतरीन
सादर
बहुत सा स्नेह प्रिय अनिता आपकी मनभावन प्रतिक्रिया से लेखन को प्रवाह और उत्साह मिला ।
Deleteसस्नेह।
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना गुरुवार १२ सितंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत बहुत आभार पांच लिंक में रचना का आना सदा सम्मान जनक और आनंद कारी है मेरे लिए।
Deleteसादर सस्नेह।
वाह आदरणीया दीदी जी
ReplyDeleteशब्द तो जैसे चुन चुन कर लायी हैं आप जिसकी खुशबू से सबके मन को महका दिया आपने
बेहद खूबसूरत रचना
सादर नमन
बहुत सा आभार प्रिय बहन आपकी सराहना से मन खुश सुधा ।और लेखन को प्रवाह मिला ।
ReplyDeleteसस्नेह।
वाह ...लाजवाब लेखन सखी 👌👌👌
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर प्रस्तूति, कुसुम दी।
ReplyDeleteआखिर आपने इन शब्दों से हमारे मन में भी पारिजात महका ही दिए ... बहुत खूब कुसुम जी
ReplyDeleteफूलों सी महकती बेहतरीन रचना सखी
ReplyDeleteआ0अति उत्तम सृजन किया है आपने
ReplyDeleteनंदन कानन महका महका...
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत शुरुआत.... मनमोहक सृजन
वाह!!!
निराला की याद आ गई ...
ReplyDeleteमाँ की अर्चना ... प्राकृति का सौन्दर्य शब्द शब्द खुशबू में बस गया जैसे ...
नंदन कानन महका आज मन में
ReplyDeleteश्वेत पारिजात महके तन मन में ।
फूल कुसमित,सुरभित चहुँ दिशाएं
द्रुम दल शोभित वन उर, मन में ।
छायावाद की याद ताजा कराती रचना प्रिय कुसुम बहन | कोमल शब्दावली अत्यंत मन मोहक है |सस्नेह --