कार्तिक मास का स्वागत
आया कार्तिक मास है, ऋतु ने बदला वेश।
त्योंहारों की आन ये, पुल्कित सारा देश।।
हवा चले मनभावनी, मुदित हुआ मन आज।
कार्तिक महीना आ गया, सुखद लगे सब काज।।
दीपमालिका आ रही, सजे हाट बाजार।
कार्तिक तेरी शान में, दीप जले दिशि चार।।
झिलमिल झालर सज रहे, हर्षित है नर नार।
कार्तिक लेकर आ गया, खुशियों के त्यौहार।।
गर्मी भागी जोर से, पहन ठंड के चीर।
बादल भी अब स्वच्छ हैं, नहीं बरसता नीर।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'