श्याम का प्रस्थान
मन पर मेघ घिरे कुछ ऐसे
चुप है पायल की छनछन
गोकुल छोड़ चले गिरधारी
आज विमोहित सा तनमन।।
पशुधन चुप-चुप राह निहारे
माँ का खाली उर तरसे
लता विलग सी राधा रानी
नयन गोपियों के बरसे
खेद खड़ा प्रस्फुटित राग का
बाँसुरिया से कुछ अनबन।।
रवि का जैसे तेज मंद हो
ठंडी निश्वासें छोड़े
निज प्रकृति भूलकर मधुकर
कलियों से ही मुख मोड़े
सूने पथ है सूनी गलियाँ
नही हवाओं में सनसन।।
पर्वत जैसी पीड़ा पसरी
बहे वेदना का सोता
सुगबग सुगबुग करता मानों
यमुना का पानी रोता
सभी दिशाए़ मौन खड़ी ज्यों
लूट चुका निर्धन का धन।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
वाह
ReplyDeleteजी हृदय से आभार आपका आदरणीय,उत्साह वर्धन से लेखनी ऊर्जावान हुई।
Deleteसादर।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर शुक्रवार 13 अक्टूबर 2023 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
जी हृदय से आभार आपका भाई रविन्द्र जी ,पाँच लिंकों पर प्रस्तुति सदा सुखद है।
Deleteसादर सस्नेह।
बहुत सुन्दर 💙❤️
ReplyDeleteजी हृदय से आभार आपका आदरणीय,उत्साह वर्धन से लेखनी ऊर्जावान हुई।
Deleteसादर।
कृष्ण के प्रस्थान का मार्मिक चित्रण
ReplyDeleteजी हृदय से आभार आपका सखी उत्साह वर्धन से लेखनी ऊर्जावान हुई।
Deleteसस्नेह।
बहुत ही सुन्दर सार्थक रचना सखी
ReplyDeleteजी हृदय से आभार आपका सखी उत्साह वर्धन से लेखनी ऊर्जावान हुई।
Deleteसस्नेह।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteजी हृदय से आभार आपका सखी उत्साह वर्धन से लेखनी ऊर्जावान हुई।
Deleteसस्नेह।
मन को छूने वाली रचना ... सार्थक !
ReplyDeleteजी हृदय से आभार आपका आदरणीय उत्साह वर्धन से लेखनी ऊर्जावान हुई।
Deleteसादर।
मार्मिक रचना
ReplyDeleteजी हृदय से आभार आपका आदरणीय उत्साह वर्धन से लेखनी ऊर्जावान हुई।
Deleteसादर।
अति सुन्दर रचना
ReplyDeleteजी हृदय से आभार आपका आदरणीय उत्साह वर्धन से लेखनी ऊर्जावान हुई।
Deleteसादर।
श्याम के प्रस्थान की कल्पना सदैव से ही व्याकुल कर देने वाली रही है। आपकी लेखनी ने पीड़ा के इस भाव को खूबसूरती से उकेरा है। बहुत बधाई!
ReplyDelete