कार्तिक मास का स्वागत
आया कार्तिक मास है, ऋतु ने बदला वेश।
त्योंहारों की आन ये, पुल्कित सारा देश।।
हवा चले मनभावनी, मुदित हुआ मन आज।
कार्तिक महीना आ गया, सुखद लगे सब काज।।
दीपमालिका आ रही, सजे हाट बाजार।
कार्तिक तेरी शान में, दीप जले दिशि चार।।
झिलमिल झालर सज रहे, हर्षित है नर नार।
कार्तिक लेकर आ गया, खुशियों के त्यौहार।।
गर्मी भागी जोर से, पहन ठंड के चीर।
बादल भी अब स्वच्छ हैं, नहीं बरसता नीर।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
वाह
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका आदरणीय।
Deleteआहा दी...अति मनमोहक रचना।
ReplyDeleteशब्द शब्द प्रकृति सौंदर्य का जादू बिखेर रहे हैं।
सस्नेह प्रणाम दी
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार ३१ अक्टूबर२०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
सस्नेह आभार श्वेता आपकी सराहना और पाँच लिंकों पर प्रस्तुति दोनों ही बेहद सुखद है मेरे लिए ।
Deleteसस्नेह।
बहुत सुन्दर दोहे ...
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका आदरणीय उत्साह वर्धन से लेखनी ऊर्जावान हुई।
Deleteसादर।
बेहतरीन।
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका शिवम् जी सृजन सार्थक हुआ आपकी बहुमूल्य टिप्पणी से।
Deleteसादर।
बहुत सुन्दर व्याख्यान कार्तिक माह का!!
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका सृजन सार्थक हुआ उत्साह वर्धक टिप्पणी से।
Deleteसस्नेह।
वाह वाह वाह... बेहतरीन चित्रण कार्तिक माह का.. 🙏
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका उत्साह वर्धन से लेखनी ऊर्जावान हुई।
Deleteसादर।
बेहतरीन 🙏
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका गगन जी सृजन सार्थक हुआ आपकी बहुमूल्य टिप्पणी से।
Deleteसादर।
अनुपम
ReplyDeleteजी हृदय से आभार आपका सृजन सार्थक हुआ।
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