नेता ऐसे ऐसे
मौका आया रंग दिखा कर
बिना बात ही अंगद बनिए
टाँग जमा दें अपनी ऐसे
बिदकी घोड़ी बन कर अड़िए।
चोरी डाका भी डालें तो
अपना चोला रखें बचाकर
साम दाम की अधम कटारी
बात -बात में चले नचाकर
अपना कपटी मन कब हारा
छल बल से सौ-सौ कपट किए।।
अपनी सोचें जग को गोली
तेली के घर जाए निष्ठा
गाँठ टका हो मोटा भइया
माला आती लिए प्रतिष्ठा
मन दिगम्बरी खोट छिपे तो
जाली को ही वस्त्र समझिए।।
ऐसे गुणी प्रतापी बाँधव
अगर देश की शान सँवारे
ढोल पीटते मानवता का
राह भ्रमित से करते नारे
भरपाई करने को नित ही
सौ आश्वासन उपहार दिए।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
वाह
ReplyDeleteजी हृदय से आभार आपका सृजन को सार्थकता मिली आपकी बहुमूल्य टिप्पणी से।
Deleteनेता है ऐसे-ऐसे ही होंगे।
ReplyDeleteविचारणीय अभिव्यक्ति दी। बहुत सुंदर रचना
प्रणाम
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २० अक्टूबर२०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
सस्नेह आभार आपका, रचना को पाँच लिंकों पर प्रस्तुत करने से रचना समर्थवान हुई।
Deleteसस्नेह।
चोरी डाका भी डालें तो
ReplyDeleteअपना चोला रखें बचाकर
साम दाम की अधम कटारी
बात -बात में चले नचाकर
अपना कपटी मन कब हारा
वाह वाह वाह बहुत सुंदर पंक्तियाँ
जी हृदय से आभार आपका सृजन को सार्थकता मिली आपकी बहुमूल्य टिप्पणी से।
Deleteबहुत ही सुंदर ! हमारे चहुँ ओर बिखरी हैं ऐसी ही प्रतिभाएं
ReplyDeleteजी हृदय से आभार आपका सृजन को सार्थकता मिली आपकी बहुमूल्य टिप्पणी से।
Deleteबहुत उत्तम चित्रण ...
ReplyDeleteजी हृदय से आभार आपका सृजन को सार्थकता मिली आपकी बहुमूल्य टिप्पणी से।
Deleteअपनी सोचें जग को गोली
ReplyDeleteतेली के घर जाए निष्ठा
गाँठ टका हो मोटा भइया
माला आती लिए प्रतिष्ठा
मन दिगम्बरी खोट छिपे तो
जाली को ही वस्त्र समझिए।।
वाह!!!!
बहुत ही सटीक एवं अद्भुत
लाजवाब सृजन ।