हौसले की पतवार
जो फूलों सी ज़िंदगी जीते कांटे हज़ार लिये बैठे हैं,
दिल में फ़रेब और होंठों पर झूठी मुस्कान लिये बैठें हैं।
खुला आसमां ऊपर,ख्वाबों के महल लिये बैठें हैं
कुछ, टूटते अरमानों का ताजमहल लिये बैठें हैं।
सफेद दामन वाले भी दिल दाग़दार लिये बैठे हैं
क्या लें दर्द किसी का कोई अपने हज़ार लिये बैठें हैं।
हंसते हुए चहरे वाले दिल लहुलुहान लिये बैठे हैं
एक भी ज़वाब नही, सवाल बेशुमार लिये बैठें हैं।
टुटी कश्ती वाले हौसलों की पतवार लिये बैठे हैं
डूबने से डरने वाले साहिल पर नाव लिये बैठे हैं।
कुसुम कोठारी।
जो फूलों सी ज़िंदगी जीते कांटे हज़ार लिये बैठे हैं,
दिल में फ़रेब और होंठों पर झूठी मुस्कान लिये बैठें हैं।
खुला आसमां ऊपर,ख्वाबों के महल लिये बैठें हैं
कुछ, टूटते अरमानों का ताजमहल लिये बैठें हैं।
सफेद दामन वाले भी दिल दाग़दार लिये बैठे हैं
क्या लें दर्द किसी का कोई अपने हज़ार लिये बैठें हैं।
हंसते हुए चहरे वाले दिल लहुलुहान लिये बैठे हैं
एक भी ज़वाब नही, सवाल बेशुमार लिये बैठें हैं।
टुटी कश्ती वाले हौसलों की पतवार लिये बैठे हैं
डूबने से डरने वाले साहिल पर नाव लिये बैठे हैं।
कुसुम कोठारी।
ReplyDeleteहंसते हुए चहरे वाले दिल लहुलुहान लिये बैठे हैं..
बहुत सुंदर पंक्तियों से सजाया आपने..
लोगों को पहचानने में ही ज़िंदगी निकल जाती है कुसुम दी।
आपकी समर्थन देती टिप्पणी से उत्साह वर्धन हुआ और रचना को प्रवाह मिला।
Deleteबहुत बहुत आभार भाई आपका।
बहुत खूब समझा आपने इस रंगमंच के हर किरदार को
ReplyDeleteलाजवाब अंदाज़
कमाल की है हर पंक्ति
सादर नमन आदरणीया दीदी जी
बहुत सा स्नेह आभार प्रिय आंचल, कितनी सुंदरता से आपने रचना का मंतव्य स्पष्ट कर सार्थक प्रतिक्रिया दी, रचना को गति मिली और उत्साह वर्धन हुआ ।
Deleteसस्नेह आभार।
वाह !वाह !दी जी लाज़बाब
ReplyDeleteक्या बखूबी उकेरा है आप ने ज़िंदगी का फ़लसफ़ा, प्रत्येक बंद अपना स्वतंत्र बख़ान
अपने ही लहज़े में कर रहा है जब तक सांसें है तब तक क्यों हारना ज़िंदगी से ...
सादर
बहुत सा आभार प्रिय अनिता आपकी सुंदर प्रतिक्रिया से उत्साह वर्धन हुआ, सच ऐसी विसंगतियों से हम हर रोज रूबरू होते हैं,यही है जिंदगी का फलसफा।
Deleteसस्नेह आभार।
वाह बहुत ही कमाल की पंक्तियाँ | सहजता से आपने बहुत गहरी बातें कह दीं | लिखती रहे यूं ही शुभकामनायें आपको
ReplyDeleteजी सादर आभार आपका आपकी उत्साहवर्धक टिप्पणी से रचना सार्थक हुई।
Deleteफेद दामन वाले भी दिल दाग़दार लिये बैठे हैं
ReplyDeleteक्या लें दर्द किसी का कोई अपने हजारों लिये बैठें हैं।
आपकी अपनी शैली में सुंदर रचना प्रिय कुसुम बहन | सभी शेर कमाल तो तीसरा बेमिसाल है | सस्नेह शुभकामनायें |
प्रिय रेणु बहन आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया सदा मेरा उत्साह बढ़ाती है ,आपको रचना पसंद आई और आपकी सराहना मेरे लिए उपहार है ।
Deleteढेर सा स्नेह आभार आपका।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 10 सितम्बर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसादर आभार आपका पांच लिंको पर आना सदा मेरे लिए गौरव का विषय है ।
Deleteसादर।
टूटी कश्ती वाले हौसलों की पतवार लिये बैठे हैं
ReplyDeleteडूबने से डरने वाले साहिल पर नाव लिये बैठे हैं।
लाजवाब... बहुत खूबसूरत भावों का सृजन कुसुम जी ।
मीना जी बहुत बहुत आभार आपका आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए बहुत मायने रखती है । सदा स्नेह बनाए रखें।
Deleteसस्नेह आभार।
डूबने का डर साहिल पे ही रोक देता है ... मंजिल कहीं नहीं मिलती उन्हें ...
ReplyDeleteहर शेर भावपूर्ण ... सच कहता हुआ ...
बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय नासवा जी आपकी सार्थक प्रतिक्रिया से रचना को प्रवाह मिला और लेखन के लिए उत्साह वर्धन हुआ।
ReplyDeleteवाह दी.मस्त..हर.शेर बेहद उम्दा सराहनीय और संदेशात्मक सृजन...शानदार रचना👌
ReplyDeleteकुसुम दी,जिंदगी की सच्चाई व्यक्त करते बहुत ही बढ़िया शेर।
ReplyDeleteटुटी कश्ती वाले हौसलों की पतवार लिये बैठे हैं
ReplyDeleteडूबने से डरने वाले साहिल पर नाव लिये बैठे हैं।
वाह!!!!
लाजवाब ...एक से बढ़कर एक शेर....।
बेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteवाह!!कुसुम जी ,बेहतरीन !!
ReplyDeleteहंसते हुए चहरे वाले दिल लहुलुहान लिये बैठे हैं
ReplyDeleteएक भी ज़वाब नही, सवाल बेशुमार लिये बैठें हैं। बेहद खूबसूरत शेर बेहतरीन प्रस्तुति सखी
बेहतरीन प्रस्तुति
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