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Wednesday, 28 July 2021

लक्ष्य बुलाता


लक्ष्य बुलाता


जीत कर देखा बहुत

खेलते हैं हार तक।

इक नया सोपान रख

बादलों के द्वार तक।


झिलमिलाता है गगन

शर्वरी इठला रही

नाचती है कौमुदी

रूप श्रृंगारे मही

आज स्नाता सी लगे

स्रोत की हर धार तक।।


मूक न्योता दे रहा

राजसी वैभव छले

बज उठी पायल हठी

लो कई सपने पले

मन मयूरा नाचता 

आखिरी झंकार तक।।


गाँव वो जो दूर है

सत्य है या है भरम

दूर इतना लक्ष्य है

राह टेढ़ी या नरम

बैल गाड़ी में चलो

चाँद के उस पार तक।।


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

26 comments:

  1. वाह भई कुसुम जी। कविता कैसे की जाती है, कोई सीखना चाहे तो आपसे सीखे। सरल शब्दों में गूढ़ जीवन-दर्शन अंतर्निहित है। जो समझ सके (और समझना चाहे), समझ ले। और जिसे n समझना हो, वह वैसे ही इसका आनंद ले।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका जितेंद्र जी आपकी सराहना मूक को मुखरित कर देती है ।
      सादर।

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  2. राह खोजो तो राह मिल ही जाती है !! अद्भुत स्वप्निल सृजन !!

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    1. आपको सृजन पसंद आया अनुपमा जी, लेखनी सार्थक हुई ।
      सस्नेह आभार आपका।

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  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 29 जुलाई 2021 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका पाँच लिंक पर रचना को शामिल करने के लिए,मैं उपस्थित रहूंगी ।
      सादर।

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  4. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका बहना।
      ब्लॉग पर आपका सदा स्वागत है।
      सस्नेह।

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  5. बहुत सुन्दर ... गेयता ऐसी की गीत में पिरोई जाए ...

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    1. बहुत बहुत आभार आपका नासा जी आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से गीत सार्थक हुआ ।
      सादर।

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  6. वाह कुसुम जी बेहतरीन प्रस्तुति

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका।
      आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
      सस्नेह।

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  7. अत्यंत सारगर्भित एवं प्रेरक सृजन दी।

    प्रणाम दी
    सादर

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    1. सस्नेह आभार आपका श्वेता, लेखनी को उर्जा मिली।
      सस्नेह।

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  8. वाह !
    चलो दिलदार चलो ! बैलगाड़ी में मेरे संग, चाँद के पार चलो !

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  9. अत्यंत सुंदर और मनोबल बढ़ाने वाली रचना!

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    1. जी सार्थक प्रतिक्रिया से रचना ने अपनी सार्थकता पाई।
      सस्नेह आभार आपका।

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  10. वाह! बहुत सुंदर भावों का दीप जलाती खूबसूरत रचना।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका, आपकी विश्लेषणात्मक टिप्पणी भाव दीप प्रज्ज्वलित करती है जिज्ञासा जी ।
      सदा उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार।
      सस्नेह।

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  11. वाह !! बहुत खूब !! बेहतरीन और बस बेहतरीन । अत्यंत सुन्दर छन्द बद्ध सृजन ।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका मीना जी रचना के शिल्प पर विहंगम दृष्टि से रचना प्रवाह मान हुई ।
      सस्नेह।

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  12. बहुत खूब। बहुत बढिया। बार बार पढ़ने को मन करे ऐसा सृजन। आपको बहुत बहुत शुभकामनायें। सादर।

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    1. जी सादर आभार आपका आपकी उर्जावान प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक और प्रवाहित हुआ।
      सादर।

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  13. जी बहुत बहुत आभार आपका आलोक जी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया।
    सादर।

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  14. जी सादर आभार आपका आदरणीय।
    सादर।

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