लक्ष्य बुलाता
जीत कर देखा बहुत
खेलते हैं हार तक।
इक नया सोपान रख
बादलों के द्वार तक।
झिलमिलाता है गगन
शर्वरी इठला रही
नाचती है कौमुदी
रूप श्रृंगारे मही
आज स्नाता सी लगे
स्रोत की हर धार तक।।
मूक न्योता दे रहा
राजसी वैभव छले
बज उठी पायल हठी
लो कई सपने पले
मन मयूरा नाचता
आखिरी झंकार तक।।
गाँव वो जो दूर है
सत्य है या है भरम
दूर इतना लक्ष्य है
राह टेढ़ी या नरम
बैल गाड़ी में चलो
चाँद के उस पार तक।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
वाह भई कुसुम जी। कविता कैसे की जाती है, कोई सीखना चाहे तो आपसे सीखे। सरल शब्दों में गूढ़ जीवन-दर्शन अंतर्निहित है। जो समझ सके (और समझना चाहे), समझ ले। और जिसे n समझना हो, वह वैसे ही इसका आनंद ले।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका जितेंद्र जी आपकी सराहना मूक को मुखरित कर देती है ।
Deleteसादर।
राह खोजो तो राह मिल ही जाती है !! अद्भुत स्वप्निल सृजन !!
ReplyDeleteआपको सृजन पसंद आया अनुपमा जी, लेखनी सार्थक हुई ।
Deleteसस्नेह आभार आपका।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 29 जुलाई 2021 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
जी बहुत बहुत आभार आपका पाँच लिंक पर रचना को शामिल करने के लिए,मैं उपस्थित रहूंगी ।
Deleteसादर।
सुन्दर भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका बहना।
Deleteब्लॉग पर आपका सदा स्वागत है।
सस्नेह।
बहुत सुन्दर ... गेयता ऐसी की गीत में पिरोई जाए ...
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका नासा जी आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से गीत सार्थक हुआ ।
Deleteसादर।
वाह कुसुम जी बेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका।
Deleteआपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
सस्नेह।
अत्यंत सारगर्भित एवं प्रेरक सृजन दी।
ReplyDeleteप्रणाम दी
सादर
सस्नेह आभार आपका श्वेता, लेखनी को उर्जा मिली।
Deleteसस्नेह।
वाह !
ReplyDeleteचलो दिलदार चलो ! बैलगाड़ी में मेरे संग, चाँद के पार चलो !
सादर आभार आपका सर ।
Deleteअत्यंत सुंदर और मनोबल बढ़ाने वाली रचना!
ReplyDeleteजी सार्थक प्रतिक्रिया से रचना ने अपनी सार्थकता पाई।
Deleteसस्नेह आभार आपका।
वाह! बहुत सुंदर भावों का दीप जलाती खूबसूरत रचना।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका, आपकी विश्लेषणात्मक टिप्पणी भाव दीप प्रज्ज्वलित करती है जिज्ञासा जी ।
Deleteसदा उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार।
सस्नेह।
वाह !! बहुत खूब !! बेहतरीन और बस बेहतरीन । अत्यंत सुन्दर छन्द बद्ध सृजन ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका मीना जी रचना के शिल्प पर विहंगम दृष्टि से रचना प्रवाह मान हुई ।
Deleteसस्नेह।
बहुत खूब। बहुत बढिया। बार बार पढ़ने को मन करे ऐसा सृजन। आपको बहुत बहुत शुभकामनायें। सादर।
ReplyDeleteजी सादर आभार आपका आपकी उर्जावान प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक और प्रवाहित हुआ।
Deleteसादर।
जी बहुत बहुत आभार आपका आलोक जी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया।
ReplyDeleteसादर।
जी सादर आभार आपका आदरणीय।
ReplyDeleteसादर।