युग प्रवर्तक ,साहित्य शिरोमणि,
आधुनिक हिंदी कहानी के पितामह, उपन्यास सम्राट
मुंशी प्रेमचंद।
अगर आपके पास थोडा सा हृदय है तो क्या मजाल की मुंशी जी की कृतियां आपकी आँखें ना भिगो पाये, जीवन के विविध रूपों के हर पहलूओं पर उन्होंने जो चित्र उकेरे हैं वो विलक्षण है ।
उन्होंने कथा ,उपन्यासों को मनोरंजन,तिलिस्म और फंतासी से बाहर निकाल सीधे यथार्थ के धरातल पर खडा कर दिया । यथार्थ भी ऐसा जिससे आभिजात्य कहलाने वाला वर्ग अनजान था या कन्नी काट रहा था ।
उनकी रचनाओं में दर्द ऐसे उभर कर आता है कि सारे बदन में सिहरन भर देता है, इस कठोर सत्य को पढने में भी उकताहट कहीं हावी नही होती, रोचकता से प्रवाह में बहता लेखन ,सहज व्यंग और हल्का हास्य का पुट पाठक को बाँधे रखता है ।
उन्होनें आम व्यक्ति की समस्याओं भावनाओं और परिस्थितियों का इतना मार्मिक वर्णन किया है कि यह कह सकते हैं उनका साहित्य संसार, हिन्दुस्तान के सबसे विशाल तबके का संसार है।
प्रेम चंद का साहित्य का महत्व भारत में ही नही विदेशों में भी समादृत है।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
मुंशी प्रेम चंद जी को समर्पित सार्थक लेख, उन्हें मेरा सादर नमन।
ReplyDeleteसस्नेह आभार आपका जिज्ञासा जी लेख पसंद आया आपको।
Deleteसस्नेह।
कथा सम्राट पर बेहतरीन आलेख।विश्व साहित्य के अतुलनीय कथाकार को कोटि कोटि नमन।आपको हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteजी सादर आभार आपका,लेख पसंद आया लिखना सार्थक हुआ,।
Deleteप्रेमचंद जी को कोटि-कोटि नमन।
थोड़ा सा हृदय। बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
Deleteसटीक दिशा बोध के लिए हृदय से आभार।
सादर।
बहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
Deleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका ज्योति बहन।
Deleteसस्नेह।
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (02-08-2021 ) को भारत की बेटी पी.वी.सिंधु ने बैडमिंटन (महिला वर्ग ) में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा। (चर्चा अंक 4144) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
सादर आभार आपका चर्चा पर रचना को शामिल करने के लिए।
Deleteमैं अपनी उपस्थिति अवश्य दूंगी।
सादर।
कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद जी समर्पित सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteकृपया *को समर्पित* पढ़िएगा ।
Deleteबहुत बहुत आभार आपका मीना जी,लेख पसंद आया आपको लिखना सार्थक हुआ।
Deleteसस्नेह।
प्रेमचंद के साहित्य को जितना पढ़ा जाए नवीनता प्रतीत होती है, कालजयी हैं उनकी रचनाएँ!
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका।
Deleteसही कहा आपने एक कालजयी साहित्यकार की कालजयी साहित्य यात्रा ।
सस्नेह।
प्रेमचन्द के लेख पर सारपूर्ण आलेख!!
ReplyDeleteजी सादर आभार आपका अनुपमा जी।
Deleteसहज, सरल, बोधगम्य शब्दों के रचयिता को सादर नमन
ReplyDeleteजी सही कहा आपने ।
Deleteबहुत बहुत आभार आपका।
सादर।
हम सभी साहित्य प्रेमियों का हृदय ही जानता है कि सम्माननीय प्रेमचंद जी हमारे लिए क्या हैं । उनको सदैव नमन ।
ReplyDeleteजी सटीक हर युग में साहित्य कार और लेखकों के आदर्श ।हैं मुंशी जी ।
ReplyDeleteसस्नेह आभार आपका।
आपने ठीक कहा कुसुम जी
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