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Thursday, 11 May 2023

हम तुम


 तुम हम


हृदय खिला है उपवन जैसा

हरा हुआ मन पीत

सरगम बजती पंचम सुर में

गूंज रहे हैं गीत।


सरिता के तट बैठे तुम-हम

पाँव नीर में डाल

झिंगुर गुनगुन गीत सुनाते

हवा बजाती ताल

जीवन पथ के पल-क्षण सुंदर 

याद रखो सब मीत।।


सुख की सब सौगातें प्यारी

सदा रहेंगी साथ

हर पथ पर हम चले उमंगित

लिए हाथ में हाथ

कभी जीत के हार गले में

कभी हार में जीत।।


झंझावात सभी झेले थे

इक दूजे के संग

पर चेहरे की मुस्कानों का

दिखे न फीका रंग

भला लगे हर बंधन साथी 

भली लगे हर रीत।।


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

3 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १२ मई २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  2. सुख की सब सौगातें प्यारी

    सदा रहेंगी साथ

    हर पथ पर हम चले उमंगित

    लिए हाथ में हाथ

    कभी जीत के हार गले में

    कभी हार में जीत।।
    जीवनसाथी के लिए कमाल का सृजन
    निःशब्द हूँ कुसुम जी !भावातिरेक में...
    कमाल की लेखनी है आपकी
    साधुवाद🙏🙏🙏👏👏👏👌👌👌

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