तुम हम
हृदय खिला है उपवन जैसा
हरा हुआ मन पीत
सरगम बजती पंचम सुर में
गूंज रहे हैं गीत।
सरिता के तट बैठे तुम-हम
पाँव नीर में डाल
झिंगुर गुनगुन गीत सुनाते
हवा बजाती ताल
जीवन पथ के पल-क्षण सुंदर
याद रखो सब मीत।।
सुख की सब सौगातें प्यारी
सदा रहेंगी साथ
हर पथ पर हम चले उमंगित
लिए हाथ में हाथ
कभी जीत के हार गले में
कभी हार में जीत।।
झंझावात सभी झेले थे
इक दूजे के संग
पर चेहरे की मुस्कानों का
दिखे न फीका रंग
भला लगे हर बंधन साथी
भली लगे हर रीत।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार १२ मई २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
वाह
ReplyDeleteसुख की सब सौगातें प्यारी
ReplyDeleteसदा रहेंगी साथ
हर पथ पर हम चले उमंगित
लिए हाथ में हाथ
कभी जीत के हार गले में
कभी हार में जीत।।
जीवनसाथी के लिए कमाल का सृजन
निःशब्द हूँ कुसुम जी !भावातिरेक में...
कमाल की लेखनी है आपकी
साधुवाद🙏🙏🙏👏👏👏👌👌👌