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Monday, 20 March 2023

नव रसों का मेह कविता


 विश्व कविता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🌷

नव रसों का मेह कविता


थाह गहरे सिंधु जैसी

उर्मिया मन में मचलती

शब्द के भंडार खोले

लेखनी मोती उगलती।।


लिख रहे कवि लेख अनुपम

भाव की रस धार मीठी

गुड़ बने गन्ना अनूठा

चाशनी चढ़ती अँगीठी

चाल ग़ज़लों की भुलाकर

आज नव कविता खनकती।


स्रोत की फूहार इसमें

स्वर्ग का आनंद भरते

सूर्य किरणों से मिले तो

इंद्रधनुषी स्वप्न झरते

सोम रस सी शांत स्निगधा

तामरस सी है बहकती।।


वीर या श्रृंगार करुणा

नव रसो का मेह छलका

रूप कितने ही हैं इसके

ताल में ज्यों चाँद झलका

कंटकों सी ले चुभन तो

रात रानी बन लहकती।।


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

9 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 22 मार्च 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका।
      सादर।

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  2. बहुत बहुत खुशनुमा कविता पर कविता ! अभिनन्दन.

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    1. बहुत बहुत आभार आपका नूपुरं जी।
      सस्नेह

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  3. वाह! अद्भुत मिठास। आनंद आ गया।

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    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका विश्वमोहन जी।

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  4. स्रोत की फूहार इसमें
    स्वर्ग का आनंद भरते
    सूर्य किरणों से मिले तो
    इंद्रधनुषी स्वप्न झरते
    सोम रस सी शांत स्निगधा
    तामरस सी है बहकती।।
    .. गज़ब अभिव्यंजना कविता की ।
    बहुत बधाई कुसुम जी।

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  5. वाह!!!
    सचमुच नवरसों के मेह सी अप्रतिम...
    लाजवाब सृजन ।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका सुधा जी।
      सस्नेह।

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