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Tuesday, 7 March 2023

कहो समय


 कहो समय तुम कितने अपने

छली बली निर्मोही हो

छुपा रखा है किसे पता क्या

मन के पक्के गोही हो।।


अहिल्या का श्राप हो तुम

दसरथ के अवसान 

श्री राम का वनवास भी 

माँ सीता की अग्नि परीक्षा

उर्मिला का वियोग

माण्ड़वी का वैराग्य 

अरे कितने अमोही हो।।


कहो समय तुम कितने अपने

छली बली निर्मोही हो।


पितामह की निर्बलता तुम

धृतराष्ट्र का मोह

देवकी के प्रारब्ध

कर्ण के अज्ञातशत्रु 

द्रौपदी का अपमान 

द्वारिका की जल समाधि

मानवता के द्रोही हो।।


कहो समय तुम कितने अपने

छली बली निर्मोही हो।


संस्कारों का अंत हो तुम

लालच की पराकाष्ठा

अनैतिकता का बाना

भ्रष्टाचार के जनक

स्वार्थ के सहोदर

धर्म के धुंधले होते रंग

विषज्वर के आरोही हो।।


कहो समय तुम कितने अपने

छली बली निर्मोही हो।।


विषज्वर=भैंसा

14 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 09 मार्च 2023 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 09 मार्च 2023 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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    Replies
    1. जी हृदय से आभार आपका मैं ब्लाग पर उपस्थित रहूंगी।
      सादर सस्नेह।

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  3. बहुत ही सुंदर

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    1. जी हृदय से आभार आपका आदरणीय।

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  4. बेहतरीन प्रविष्टि

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।

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  5. वाह ! समय के विविध रंग !

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    1. जी सस्नेह आभार आपका ब्लॉग पर सदा प्रतिक्षा रहेगी आपकी।
      सस्नेह।

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  6. Replies
    1. जी बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।

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  7. हमारे ग्रंथों में विभिन्न पत्रों को बलि-महाबली-अजेय दर्शाया गया है ! पर समय जैसा बलवान कोई नहीं है... कोई भी नहीं ! न कोई इस जैसा निरपेक्ष है, ना न्यायी, ना निष्पक्ष, नाहीं समदर्शी और पाबंद इतना कि खुद के लिए भी समय नहीं है

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    1. This comment has been removed by the author.

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    2. जी हृदय से आभार आपका मैं सहमत हूँ आपकी बात से पर कभी कभी मन विद्रोही होकर समय को ही शूली पर चढ़ा देता है ।
      आपकी सकारात्मक विवेचना के लिए हृदय से साधुवाद आदरणीय।

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