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Sunday, 8 January 2023

गीतिका:शुभ भाव


 गीतिका: आधार छंद:- माधवमालती, 2122×4


शुभ भाव


जो दहकती है घृणा वो शीघ्र थमनी चाहिए अब।

आग को शीतल करे वो ओस झरनी चाहिए अब।।


ले कहीं से आज आओ रागिनी कोई मधुर सी  ।

हर हृदय की गोह से बस खार  छटनी चाहिए अब।


बाहरी सज्जा चमन में फूल कृत्रिम कूट दिखते।।

बाग सुंदर हो कली हर इक महकनी चाहिए अब।


आन पर अपने चलो गौरव सदा अपना बचाओ ।

देश हित को ध्यान में रख नीति  रचनी चाहिए अब ।


साहसी होंगे वही जो राह कांटों की चुनेंगे।

पार करनी अब्धि हो दृढ़ एक तरनी चाहिए अब।


 जो कुसुम दुर्बल जनों को, स्वत्व अपना है बचाना।

आसमानों को झुका दें, चाह जगनी चाहिए अब।।


कुसुम कोठारी' प्रज्ञा'

2 comments:

  1. साहसी होंगे वही जो राह कांटों की चुनेंगे।

    पार करनी अब्धि हो दृढ़ एक तरनी चाहिए अब।
    वाह!!!!
    उत्कृष्ट भाव लाजवाब गीतिका ।

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    Replies
    1. हृदय से आभार आपका सुधा जी।
      सस्नेह।

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