कुसुम की कुण्डलियाँ -६
२१
विषय-कुनबा
छोटा कुनबा हो चले , रहे प्रेम संचार ,
एक दूसरे के लिए , हो मन में बस प्यार ,
हो मन में बस प्यार , करें बातें हितकारी ,
सजता इससे धाम , सदा हो मंगलकारी ,
सुनो कुसुम की बात ,भाव न हो कभी खोटा ,
अन्तर तक हो प्रेम , सदन हो चाहे छोटा ।।
२२
विषय-पीहर
पारस पीपल पुष्प से , पंथ के हैं प्रमाण ,
पिता पितामह पूज्य है , पीहर प्रेम प्रणाम ,
पीहर प्रेम प्रणाम , पालते पालक पीड़ा ,
पलक पसारे प्राण ,प्रथम प्रधान का बीड़ा ,
पले कुसुम परिवार , प्रीत प्रबंध हो पावस ,
परस प्रेम परिणाम ,प्रथम प्रतिपादित पारस।।
२३
विषय- पनघट
पनघट आई गूजरी , चंदन महका आज ,
बहकी बहकी चाल है , आँखों में है लाज ,
आंँखों में है लाज , झूम मन नाचे गाए ,
द्रुम छेड़े नव राग , श्याम ज्यों बँसी बजाए ,
कहे कुसुम ये राज , पवन सँवारे केश लट ,
निज उलझा है जाल,देख ललिता को पनघट।
२४
विषय-सैनिक
सैनिक मेरे देश का , सदा हमारी आन ,
देश सुरक्षा वारता , अपना तन मन प्राण ,
अपना तन मन प्राण , पहनकर रखता वर्दी ,
करता है कर्तव्य , कड़क हो चाहे सर्दी ,
कहे कुसुम हो धन्य , कार्य उनका ये दैनिक ,
बनता पहरेदार , देश का रक्षक सैनिक ।।
कुसुम कोठारी।
२१
विषय-कुनबा
छोटा कुनबा हो चले , रहे प्रेम संचार ,
एक दूसरे के लिए , हो मन में बस प्यार ,
हो मन में बस प्यार , करें बातें हितकारी ,
सजता इससे धाम , सदा हो मंगलकारी ,
सुनो कुसुम की बात ,भाव न हो कभी खोटा ,
अन्तर तक हो प्रेम , सदन हो चाहे छोटा ।।
२२
विषय-पीहर
पारस पीपल पुष्प से , पंथ के हैं प्रमाण ,
पिता पितामह पूज्य है , पीहर प्रेम प्रणाम ,
पीहर प्रेम प्रणाम , पालते पालक पीड़ा ,
पलक पसारे प्राण ,प्रथम प्रधान का बीड़ा ,
पले कुसुम परिवार , प्रीत प्रबंध हो पावस ,
परस प्रेम परिणाम ,प्रथम प्रतिपादित पारस।।
२३
विषय- पनघट
पनघट आई गूजरी , चंदन महका आज ,
बहकी बहकी चाल है , आँखों में है लाज ,
आंँखों में है लाज , झूम मन नाचे गाए ,
द्रुम छेड़े नव राग , श्याम ज्यों बँसी बजाए ,
कहे कुसुम ये राज , पवन सँवारे केश लट ,
निज उलझा है जाल,देख ललिता को पनघट।
२४
विषय-सैनिक
सैनिक मेरे देश का , सदा हमारी आन ,
देश सुरक्षा वारता , अपना तन मन प्राण ,
अपना तन मन प्राण , पहनकर रखता वर्दी ,
करता है कर्तव्य , कड़क हो चाहे सर्दी ,
कहे कुसुम हो धन्य , कार्य उनका ये दैनिक ,
बनता पहरेदार , देश का रक्षक सैनिक ।।
कुसुम कोठारी।
बहुत सुंदर कुण्डलियाँ सखी
ReplyDeleteसुन्दर कुंडलियाँ, मैम।
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