नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जन्मदिवस पर देशवासियों को आह्वान ।
विजय शंख का नाद था गूंजा
वीरों की हुंकार भी गरजी
विजय शंख का नाद था गूंजा
वीरों की हुंकार भी गरजी
देेशभक्ति का भाव जगाया
मिटा के सब की खुदगर्जी
मिटा के सब की खुदगर्जी
आह्वान है आज सभी को
उठो चलो प्रमाद को त्यागो,
मां जननी अब बुला रही
वीर सपूतों अब तो जागो ।
आंचल मां का तार हुवा
बाजुु है अब लहुलुहान,
क्या मां की आहुती होगी?
या फिर देना है निज प्राण ।
घात लगाये जो बैठे थे
खसोट रहे वो खुल्ले आम
धर्म युद्ध तो लड़ना होगा
पीड़ा भोग रही आवाम ।
पाप धरा का हरना होगा ,
आज करो ये दृढ़ उदघोष
जागो तुम और जगा दो
जन-जन के मानस में जोश ।
कुसुम कोठारी ।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 23 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार मुखरित मौन पर रचना को रखने केलिए हृदय तल से आभार।
Deleteमैं चर्चा पर यथा संभव जरूर आऊंगी।
सुंदर सृजन दी।
ReplyDeleteआज नेता जी सुभाषचंद्र बोस की जयंती है। रंगून में नेता जी का वह ऐतिहासिक भाषण -" 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा ।"
और साथ ही दक्षिणी-पूर्वी एशिया से जापान द्वारा एकत्रित करीब चालीस हजार भारतीय स्त्री-पुरुषों की प्रशिक्षित सेना, जो वर्ष 1943 से 1945 तक आजाद हिन्द फौज अंग्रेजों से युद्ध करती रही। ये दो कार्य इतिहास के पन्नों में सुभाष बाबू को सदैव अमर रखेगा, भले ही उनकी मृत्यु के गुत्थी सुलझे न सुलझे।
हाँ , कष्ट अपने देश के उन कर्णधारों से है कि जिस शख्स ने अपने पराक्रम से भारत माता की आजादी केलिए अंग्रेजों ही नहीं सम्पूर्ण विश्व को चकित करते हुये आजाद हिन्द फौज का गठन किया , उसकी जयंती इतनी फीकी क्यों है । हमारे नेतागण अपने वोट बैंक को ध्यान में रखकर जाति और मजहब के आधार पर विभिन्न राजनेताओं की जयंती दमखम के साथ मनाते हैं, लेकिन सुभाष बाबू की जयंती समारोह पश्चिम बंगाल में ही सिमटी क्यों है ?
कितने विडंबना है कि अपने उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न प्रांतों में वोट बैंक के लिहाज से सारे कार्य हो रहे हैं। पिछले दिनों नागरिकता कानून संशोधन के समर्थन में हिंदू संगठनों द्वारा पदयात्रा का आयोजन किया गया था । जिसमें एक ही रथ पर अपने बापू की तस्वीर के ठीक बराबर का चित्र बाबासाहेब आंबेडकर का था ,अच्छी बात है !अन्य सारे राजनेता नेपथ्य में चले गए थे, अच्छी बात है ! खैर अपने जनपद में पटेल जयंती की भी खूब धूम रहती है , क्योंकि यह जनपद कुर्मी बिरादरी बाहुल्य है। सांसद ,विधान परिषद सदस्य दो-दो विधायक जिनमें से एक प्रदेश सरकार में मंत्री है, इसी पटेल बिरादरी के हैं । आला अधिकारी भी कुर्मी हो,यह भी प्रयास रहता है। कहने का आशय यह है कि यदि हर कार्य वोटबैंक को देख कर होगा, तो ऐसे में अपने जनपद में सुभाष बाबू की जयंती बस औपचारिकता मात्र ही रहेगी न ? हाँ, कुछ विद्यालयों में इसे लेकर अवश्य उत्साह रहा।
बेहद ओजपूर्ण सृजन दी
ReplyDeleteआपकी लेखनी का सार्थक आह्वान।
समसामयिक संदर्भ के सत्य का खाका खींचा है आपने।
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (24-01-2020) को " दर्पण मेरा" (चर्चा अंक - 3590) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
.....
अनीता लागुरी 'अनु '
देशभक्ति का आह्वान करती सुन्दर रचना के साथ नेता जी को दी गई आपकी श्रद्धांजलि अनोखी है।
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुभकामनाएँ ।
देशभक्ति का आह्वान
ReplyDeleteपाप धरा का हरना होगा ,
ReplyDeleteआज करो ये दृढ़ उदघोष
जागो तुम और जगा दो
जन-जन के मानस में जोश
बहुत खूब ,जनमानस में जोश जगाता सुंदर सृजन ,आज इस सोच और जोश दोनों की बड़ी दरकार हैं ,जय हिन्द