नई दुलहन और उषा सौन्दर्य
दुल्हन ने अपनी तारों जड़ी चुनरी समेटी,
नींद से उठ कर
चाँद जैसे आभूषण
सहेज रख दिये संदूक में,
बादलों से निकलता भास्कर
ज्यों उषा सी नवेली
दुल्हन का चमकता चेहरा ,
फैलती लालीमा
जैसे मांग का दमकता सिंदूर,
धीरे-धीरे धूप धरा पर यों बिखरती
ज्यों कोई नवेली लाज भरे नयन लिए ,
मन्द कदम उठाती
अधर-अधर आगे बढती ,
पंक्षियों की मनभावन चिरिप-चिरिप
यूं लगे मानो धीर-धीरे बजती
पायल के रुनझुन की स्वर लहरी,
ओस से भीगे फूल
जैसे अपनो का साथ छुटने की
नमी आंखों में,
खिलती कलियाँ
ज्यों मंद हास
नव जीवन की शुरुआत का उल्लास।
कुसुम कोठारी ।
दुल्हन ने अपनी तारों जड़ी चुनरी समेटी,
नींद से उठ कर
चाँद जैसे आभूषण
सहेज रख दिये संदूक में,
बादलों से निकलता भास्कर
ज्यों उषा सी नवेली
दुल्हन का चमकता चेहरा ,
फैलती लालीमा
जैसे मांग का दमकता सिंदूर,
धीरे-धीरे धूप धरा पर यों बिखरती
ज्यों कोई नवेली लाज भरे नयन लिए ,
मन्द कदम उठाती
अधर-अधर आगे बढती ,
पंक्षियों की मनभावन चिरिप-चिरिप
यूं लगे मानो धीर-धीरे बजती
पायल के रुनझुन की स्वर लहरी,
ओस से भीगे फूल
जैसे अपनो का साथ छुटने की
नमी आंखों में,
खिलती कलियाँ
ज्यों मंद हास
नव जीवन की शुरुआत का उल्लास।
कुसुम कोठारी ।
वाह.... बहुत सुन्दर
ReplyDeleteउषा सुंदरी का सौन्दर्य निखार देखते ही बनता है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, कुसुम दी।
ReplyDeleteवाह! प्रकृति दर्शन करा दिया आपने.....वो भी एक नई दुल्हन के रूप में।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत पंक्तियाँ।
जैसे अपनो का साथ छुटने की
ReplyDeleteनमी आंखों में,
खिलती कलियाँ
ज्यों मंद हास
नव जीवन की शुरुआत का उल्लास।
दिल को छू लेने वाली प्यारी रचना ,मकरसंक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं कुसुम जी
मन को छूती रचना
ReplyDeleteवाह
हमेशा की तरह बेहतरीन प्रस्तुति ।आप खुद ही रचनाओं का संसार व श्रृंगार हैं । शुभकामनाएं स्वीकार करें आदरणीया ।
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