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Saturday, 18 January 2020

कुसुम की कुण्डलियाँ-७

कुसुम की कुण्डलियाँ-७

२५विषय :- कोयल
छाया अब मधुमास है , गाये कोयल गीत ,
कितनी मीठी रागिनी ,  घर आए मनमीत ,
घर आए मनमीत , मधुमास मधु भर लाता ,
पुष्पित है हर डाल , भ्रमित भौंरा भरमाता ,
कहे कुसुम ये बात , आज बसंत मुस्काया ,
तरुण हुवा हर पात , बाग पर यौवन छाया।।

२६विषय :- अम्बर
बरसे है शशि से विभा  ,  वल्लरियों के पात ,
अम्बर निर्मल कौमुदी  ,  सजा हुआ है गात ,
सजा हुआ है गात  ,  विटप मुख चूम रही है ,
सरित सलिल रस घोल ,मधुर स्वर झूम रही है,
विधु का वैभव दूर  ,  निरख के चातक तरसे ,
जलते तारक दीप ,  धरा पे ज्योत्स्ना बरसे ।।

२७विषय-अविरल
अविरल घन काले घिरे  ,  छाये छोर दिगंत ,
भ्रम है या जंजाल है  ,  दिखे न कोई अंत ,
दिखे न कोई अंत ,  गूढ़ गहराती मिहिका ,
बची न कोई आस , त्रास में घिरी  सारिका ,
कहे कुसुम ये बात ,  राह कब होगी अविचल ,
सुनें आम की कौन ,  हुआ जग जीवन अविरल ।

२८ विषय-  सागर
सागर में उद्वेग है , सूर्य मिलन की चाह ,
उड़ता बन कर वाष्प वो , चले धूप की राह ,
चले धूप की राह , उड़े जब मारा मारा ,
मृदु होता है फिर , झेल प्रहार बेचारा ,
कहे कसुम ये बात ,सिंधु है जल का आगर ,
कुछ पल गर्वित मेघ , फिर जा मिलता सागर ।।

5 comments:

  1. बेहतरीन कुण्डलियाँ सखी

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(२० -०१-२०२० ) को "बेनाम रिश्ते "(चर्चा अंक -३५८६) पर भी होगी
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
    महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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  3. बहुत खूब कुसुम जी ,हर एक कुंडलियाँ अपने विषय के गहराई को पूर्णतः समेटे हुए ,सादर नमन आपको और आपकी लेखनी को

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  4. कुसुम जी आपकी कुण्डलियाँ तो हमको 300 साल पहले के साहित्यिक परिवेश में ले जाती हैं.
    आप के पास क्या एच. जी. वेल्स की टाइम मशीन है?

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  5. बहुत ही सुंदर

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