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Thursday, 9 January 2020

कुसुम की कुण्ड़लियाँ-५

कुसुम की कुण्डलियाँ ५

१७ -विषय- बाबुल

बाबुल तेरा अंगना ,छोड़ चली हूं आज ,
हाथ में मेंहदी रची , आंखों में है लाज
आंखों में है लाज , सजा सपने मतवाली ,
आज चली परदेश  ,लाड़ से पलने वाली
कहे कुसुम ये बात , ब्याह कर भेजा काबुल ,
पूछे बेटी आज  ,दूर क्यों भेजा बाबुल।

१८-विषय- भैया

राखी भेजी प्रेम से  ,प्रेम भरा उपहार।
भैया यादों में रखो ,गूंथ पुष्प ज्यों हार।
गूंथ पुष्प ज्यों हार ,  सहेजे बहना तेरी
रखना मन में प्यार , यही विनती है मेरी,
कहे कुसुम ये बात , एक उपवन के पाखी
बहता है अनुराग  ,भाव है सुंदर राखी।

१९ -विषय-बहना

बहना कहे उदास हो , छूटा अब परिवार  ,
मां बाबा की लाडली  ,  चली दूसरे द्वार ,
चली दूसरे द्वार  ,  भरा नयनों में पानी ,
भ्राता  कहे भर अंक  , रहे तू  बनके रानी ,
मैं तो तेरे साथ  ,  मान तू मेरा कहना  ,
यही जगत की रीत , खुशी से रह तू बहना ।

२० -विषय-सखियाँ

सखियाँ सुख की खान है , मीठा मधु रस पान ,
हिलमिल हँसती खेलती  , एक एक की प्राण ,
एक एक की प्राण ,  खुशी में झूमे नाचे
करे कुंज में केलि , हाथ सुरंग रँग राचे ,
कहे कुसुम ये बात  ,रखो  पुतली भर अखियाँ,
ये जीवन का सार , जगत में प्यारी सखियाँ। ।।
कुसुम कोठारी।

1 comment:

  1. बेटी के जीवन की सारी रिश्तों और लम्हों को पिरोता सुंदर सृजन ,सादर नमन कुसुम जी

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