गणतंत्र दिवस से पहले
गणतंत्र दिवस पर एक बार
फिर तिरंगा फहरायेगा ,
कुछ कश्में वादे होगें
कुछ आश्वासनों का परचम लहरायेगा ।
हम फिर भ्रमित हो भुलेंगे,
प्रजातंत्र बन गया लाठी वालों की भैंस ,
और देश बन गया मूक बधिरों का आवास ,
लाठी वाले खूब अपनी भैंस चरा रहे
हम पंगू बन बैठे गणतंत्र दिवस मना रहे ,
ना जाने देश कहां जायेगा
हम जा रहे रसातल को ,
यद्यपि दीन-दुखी ग़ारत है
विश्व में फिर भी सर्वोच्च भारत है,
गाना नही, अब जगना और जगाना है,
ठंडे हुवे लहू को फिर लावा बनाना है ,
मां भारती को सच में शिखर पर पहुंचाना है ,
मज़बूत इरादों वाला गणतंत्र दिवस मनाना है ।
कुसुम कोठारी ।
गणतंत्र दिवस पर एक बार
फिर तिरंगा फहरायेगा ,
कुछ कश्में वादे होगें
कुछ आश्वासनों का परचम लहरायेगा ।
हम फिर भ्रमित हो भुलेंगे,
प्रजातंत्र बन गया लाठी वालों की भैंस ,
और देश बन गया मूक बधिरों का आवास ,
लाठी वाले खूब अपनी भैंस चरा रहे
हम पंगू बन बैठे गणतंत्र दिवस मना रहे ,
ना जाने देश कहां जायेगा
हम जा रहे रसातल को ,
यद्यपि दीन-दुखी ग़ारत है
विश्व में फिर भी सर्वोच्च भारत है,
गाना नही, अब जगना और जगाना है,
ठंडे हुवे लहू को फिर लावा बनाना है ,
मां भारती को सच में शिखर पर पहुंचाना है ,
मज़बूत इरादों वाला गणतंत्र दिवस मनाना है ।
कुसुम कोठारी ।
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ReplyDeleteमज़बूत इरादों वाला गणतंत्र दिवस मनाना है...
परंतु कैसे कुसुम दी?
इस सवाल का जवाब है किसी के पास , मेहनतकश लोगों का जिसप्रकार उपहास गुलाम भारत में था, वह आजादी के इतने वर्ष बाद भी है । हमारा संविधान बौना पड़ा हुआ है ।हम सभी अपनी लेखनी के माध्यम से ही भारत माता की जय जय कार करते हैं, परंतु उनसे पूछिए जो सचमुच भारत माता के लाल हैं । उनकी रसोई को खंगाल कर देखिए हमारा भारत कितना महान है। मैं तो ग्रामीण क्षेत्रों में जाता हूँँ और छोटे किसानों का हाल भी देता हूँँ मजदूरों का भी ,लिखता भी जमकर था, परंतु स्वयं शोषण का शिकार रहा..।
कितना दोहरा चरित्र है हम श्रमजीवी पत्रकारों का भी,
क्योंकि बेरोजगार था और कोई काम समझ में नहीं आ रहा था।
समसामयिक विषय पर सुंदर प्रस्तुति, वैसे भी आपका निश्छल लेखन व्याकुल हृदय को सदैव कोमलता प्रदान करता है।
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार (२६-०१ -२०२०) को "शब्द-सृजन"- ५ (चर्चा अंक -३५९२) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
-अनीता सैनी
बहुत ही सुंदर भाव संजोये बेहतरीन रचना । गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं आदरणीय
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना सखी,आपको गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteगाना नही, अब जगना और जगाना है,
ReplyDeleteठंडे हुवे लहू को फिर लावा बनाना है ,
मां भारती को सच में शिखर पर पहुंचाना है ,
मज़बूत इरादों वाला गणतंत्र दिवस मनाना है
बहुत खूब ,लाज़बाब सृजन कुसुम जी
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं