Tuesday, 14 January 2020

कुसुम की कुण्डलियाँ ६

कुसुम की कुण्डलियाँ -६

२१
विषय-कुनबा
छोटा कुनबा हो चले  ,  रहे प्रेम संचार  ,
एक दूसरे के लिए  ,  हो मन में बस प्यार  ,
हो मन में बस प्यार  ,  करें बातें हितकारी ,
सजता इससे धाम  ,  सदा हो मंगलकारी ,
सुनो कुसुम की बात ,भाव न हो कभी खोटा ,
अन्तर तक हो प्रेम  ,  सदन हो चाहे छोटा  ।।

२२
विषय-पीहर
पारस पीपल पुष्प से  ,  पंथ के हैं प्रमाण ,
पिता पितामह पूज्य है  , पीहर प्रेम प्रणाम ,
पीहर प्रेम प्रणाम , पालते पालक पीड़ा ,
पलक पसारे प्राण ,प्रथम प्रधान का बीड़ा ,
पले कुसुम परिवार , प्रीत प्रबंध हो पावस ,
परस  प्रेम परिणाम ,प्रथम प्रतिपादित पारस।।

२३
विषय- पनघट
पनघट आई गूजरी , चंदन महका आज ,
बहकी बहकी चाल है , आँखों में है लाज ,
आंँखों में है लाज  ,  झूम मन नाचे गाए ,
द्रुम छेड़े नव राग , श्याम ज्यों बँसी बजाए ,
कहे कुसुम ये राज , पवन सँवारे केश लट ,
निज उलझा है जाल,देख ललिता को पनघट।

२४
विषय-सैनिक
सैनिक मेरे देश का  ,  सदा हमारी  आन ,
देश  सुरक्षा वारता  , अपना तन मन प्राण ,
अपना तन मन प्राण  , पहनकर रखता वर्दी ,
करता है कर्तव्य  ,  कड़क हो चाहे सर्दी ,
कहे कुसुम हो धन्य  ,  कार्य उनका ये दैनिक ,
बनता पहरेदार  ,  देश का रक्षक सैनिक ।।

कुसुम कोठारी।

2 comments:

  1. बहुत सुंदर कुण्डलियाँ सखी

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  2. सुन्दर कुंडलियाँ, मैम।

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