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Tuesday, 31 July 2018

कोरी किताब

.                कोरी किताब

आज नई कोरी किताब खरीद लूंगी।

कल सभी कडवी यादों को
 विदा कर पहले पन्ने पर
सभी सुखद क्षणों को
सहेज कर रख लूंगी
अगला पन्ना प्यार स्नेह से भर दूंगी
अपने सभी अपनों को
निमंत्रण अगले पन्ने पर दूंगी।
आके सभी लिख देना
साथ बिताई अपनी अच्छी यादें
सुखद क्षण , कुछ अच्छे विचार
फिर उस किताब की कुछ प्रतिलिपि
बनवा भेज दूंगी सभी अपनों को।

मै सहेज रख लूंगी मेरी किताब को।
                                 कुसुम कोठारी।

6 comments:

  1. वाह वाह बहुत सुंदर भाव

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    1. आभार सखी हृदय तल से।

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  2. बहुत उम्दा सोच .... लाजवाब रचना
    कुछ हमारी भी तरफ से

    काश ज़िंदगी किताब होती
    तो कितनी लाजवाब होती
    फाड़ देते उन सभी पन्नों को
    जिस दिन की यादें ख़राब होती
    लिखते सुनहरे अक्षरों से
    किस्मत के अफ़साने
    गुम हो जाते इस जहाँ से
    दर्द के तराने
    काश ज़िंदगी किताब होती

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    1. सखी आपने सीधा छक्का लगा दिया गूगली पर वाह क्या कहने आपकी प्रतिक्रिया के ।
      स्नेह आभार ।

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  3. वाह बेहतरीन ......
    जब जागो तभी सवेरा
    आ जिंदगी
    नव पन्ने लिखे नया सवेरा

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    1. वाह सुंदर बात खुद जगो तभी हो सवेरा सूरज तो पूरे जग के लिये जलता है जगता है।

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