दृढ़ संकल्प का दीप
दीप जला सखी दीप जला
निराशा के तम को भगाने
आशा का एक दीप जला
राह हो कितनी भी मुश्किल
दृढ़ संकल्प का दीप जला
रिश्तों को रखना संभाले
स्नेह का एक दीप जला
सब कुछ नही पर कुछ पाना है
विश्वास का एक दीप जला
स्वर्णिम रश्मि खड़ी है द्वारे
सूरज सा एक दीप जला
दीप जला सखी दीप जला
कुसुम कोठारी
वआआह
ReplyDeleteबेहतरीन
सैदर
सादर आभार सखी दी आप को पसंद आ गई लेखन सार्थक हुवा।
Deleteशुभ दिवस ।
वाह बहुत सुंदर दीप जला सखी दीप जला
ReplyDeleteसस्नेह आभार अनुराधा जी ।
Deleteबहुत खूब सखी
ReplyDeleteवैसे तो आप की हर रचना सकारात्मक होती है
आज की रचना में भी खूबसूरत संदेश है
काश सब आप की तरह सोचते
आपका स्नेह सर आंखों पर सखी, आशा वाद और कर्मशील बन कर रहो तो जीवन सदा मुस्कुराता है, दीर्घ सूत्री नही कि हाथ पर हाथ धरे बैठे रहें। और आपकी प्रतिक्रिया सदा मेरे पक्ष मे होती है ।
Deleteस्नेह आभार
स्वर्णिम रश्मि खड़ी है द्वारे
ReplyDeleteसूरज सा एक दीप जला
दीप जला सखी दीप जला
सही कहा कुसुम दी कि दिप जलाने से ही अंधेरा दूर होगा। कोशिश हमे ही करनी होगी।
स्नेह आभार ज्योति बहन आपका समर्थन रचना को गति देता सा।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १६ जुलाई २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सस्नेह आभार,, मै उपस्थित रहूंगी
Deleteनिराशा एक अंधकार है जो मन की आशा से दूर भाग जाता है ... हर किसी को इस दीप की आवश्यकता है आज ...
ReplyDeleteसुंदर रचना ...
सादर आभार आदरणीय।
ReplyDelete