आज सखी मन खनक खनक जाये
मन की झांझर ऐसी झनकी
रुनझुन रुनझुन बोल रही है
छेडी सरगम मधुर रागिनी
मन के भेद भी खोल रही है।
आज सखी मन खनक खनक जाय।
प्रीत गगरिया छलक रही है
ज्यो अमृत उड़ेल रही है
मन को घट रीतो प्यासो है
बूंद - बूंद रस घोल रही है
आज सखी मन खनक खनक जाय ।
काली घटा घन घड़क रही है
बृष्टि टापुर टुपुर टपक रही है
हवा सुर सम्राट तानसेन ज्यों
राग मल्हार दे ठुमक रही है
आज सखी मन खनक खनक जाय ।
कुसुम कोठारी।
मन की झांझर ऐसी झनकी
रुनझुन रुनझुन बोल रही है
छेडी सरगम मधुर रागिनी
मन के भेद भी खोल रही है।
आज सखी मन खनक खनक जाय।
प्रीत गगरिया छलक रही है
ज्यो अमृत उड़ेल रही है
मन को घट रीतो प्यासो है
बूंद - बूंद रस घोल रही है
आज सखी मन खनक खनक जाय ।
काली घटा घन घड़क रही है
बृष्टि टापुर टुपुर टपक रही है
हवा सुर सम्राट तानसेन ज्यों
राग मल्हार दे ठुमक रही है
आज सखी मन खनक खनक जाय ।
कुसुम कोठारी।
वाह वाह कुसुम जी मन तो आपकी रचना पढकर
ReplyDeleteझूम झूम गया
सस्नेह आभार अभिलाषा जी आपकी प्रतिक्रिया से रचना और मुखरित हुई।
Deleteजी मित्र जी बहुत बहुत स्नेह आभार।
ReplyDeleteशुभ दिवस ।
टापूर टुपुर शब्दों से खनके काव्य भाव भर कर प्याली
ReplyDeleteएसो भाव भरो मेघन मैं बही लेखनी मतवाली !
सजीव चित्रण बेहतरीन लेखन
बहुत सा आभार मीता,
Deleteस्नेह सिक्त काव्यात्मक प्रतिक्रिया आपकी रचना को प्रवाह देती सी।
"काली घटा घन घड़क रही है
ReplyDeleteबृष्टि टापुर टुपुर टपक रही है
हवा सुर सम्राट तानसेन ज्यों
राग मल्हार दे ठुमक रही है
आज सखी मन खनक खनक जाय ।"
वाह वाह दीदी जी क्या खूब लिखा आपने मन पढ़ते ही आनंद में भीग गया
लाजवाब 👌
सादर नमन सुप्रभात 🙇
सस्नेह आभार आंचल आपकी प्रतिक्रिया मन मोह गई और मुझे भी आनंद से भीगो गई।
Deleteबेहद खूबसूरत रचना कुसुम जी मन प्रसन्न हो गया
ReplyDeleteढेर सा स्नेह आभार अनुराधा जी ।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक ९ जुलाई २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सस्नेह आभार ।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2018/07/77.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteCongrats from Howtomoon
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