इंसान है नसीब का पायेगा ही
मौत की शै पे हर एक फना होता है,
जज्बातो की ठोकर मे क्यों
फिर रुसवा होता हैं,
इंसा है नसीब का पायेगा ही,
बस इस बात से क्यों अंजा होता है,
ख्वाब देखो कुछ बुरा नही
पर हर ख्वाब पुरा हो यही मत देखो
सब की किस्मत एक नही होती
एक ही गुलिस्ता के हर फूल का
अंजाम अलग होता है
एक कली सेहरे मे गूंथती
एक मयत पर सजती है
एक फूल चढता श्रद्धा से
दूजा बाजारों में रौंदा जाता है
एक बने गमले की शोभा
एक कचरे मे फैंका जाता है
कुछ तो कुछ भी नही सहते
पर डाली पर मुरझा जाते है
बस जीने का एक बहाना
ढूंढलो कोई अच्छा सा
एक ढूंढोगे लाख मिलेगे
सप्तम सुर है सरगम मे।
कुसुम कोठारी।
मौत की शै पे हर एक फना होता है,
जज्बातो की ठोकर मे क्यों
फिर रुसवा होता हैं,
इंसा है नसीब का पायेगा ही,
बस इस बात से क्यों अंजा होता है,
ख्वाब देखो कुछ बुरा नही
पर हर ख्वाब पुरा हो यही मत देखो
सब की किस्मत एक नही होती
एक ही गुलिस्ता के हर फूल का
अंजाम अलग होता है
एक कली सेहरे मे गूंथती
एक मयत पर सजती है
एक फूल चढता श्रद्धा से
दूजा बाजारों में रौंदा जाता है
एक बने गमले की शोभा
एक कचरे मे फैंका जाता है
कुछ तो कुछ भी नही सहते
पर डाली पर मुरझा जाते है
बस जीने का एक बहाना
ढूंढलो कोई अच्छा सा
एक ढूंढोगे लाख मिलेगे
सप्तम सुर है सरगम मे।
कुसुम कोठारी।
कर्म प्रधान भले ही जग में
ReplyDeleteफिर भी किस्मत शेर
उम्र गुजर जाये मेहनत में
भाग्य जो कर दे देर
बहुत अच्छी लगी रचना 👌👌👌
जी सखी सही कहा मेहनत कश दिन भर का जुगाड़ नही कर पाते और किस्मत वाले दोनो हाथ लुटाते।
Deleteआपकी प्रतिक्रिया मन भाई।
ढेर सा आभार सखी।
👌👌👌👌अति सुन्दर भाव मीता
ReplyDeleteसस्नेह आभार मीता ।
Deleteभाग्य और कर्म को बहुत बेहतरीन ढंग से व्याख्यायित किया है कुसुम जी। बहुत सुन्दर रचना ।
ReplyDeleteसादर आभार मीना जी आपकी सार्थक प्रतिक्रिया से रचना का मान बढा।
Deleteजीने का वक सहारा ज़रूर ढूँढना चाहिए नहि तो सूरों को देख कर जलन होती है ... हर किसी की क़िस्मत वक साई नहि होती है ...
ReplyDeleteगहरी बात लिख दी रचना के माध्यम से ...
सादर आभार आदरणीय व्याख्यात्मक प्रतिक्रिया से लेखन को नई गति मिलती है ।
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