वाह बहुत खूब 👌👌👌
आभार मित्र जी बहुत सा ।
लाजवाब सखी बहुत गहरी सोच
शुक्रिया सखी ढेर सा
क्या बात ..क्या बात ... क्या बात ...गेसुओ में उलझा चन्दा माथे बिंदिया सा चमका ...बेहतरीन मीता रोचकता से परिपूर्ण काव्य
बहुत सा आभार मीता ।
बहुत खूब ...ये गेसू यादें हैं जिनसे छुटकारा पाना आसान नहीं ...लाजवाब केनवस ...
जी सादर आभार आपका ना वा जी ।
क्षमा करें.. नासवा जी पढे।
वाह बहुत खूब 👌👌👌
ReplyDeleteआभार मित्र जी बहुत सा ।
Deleteलाजवाब सखी बहुत गहरी सोच
ReplyDeleteशुक्रिया सखी ढेर सा
Deleteक्या बात ..क्या बात ... क्या बात ...
ReplyDeleteगेसुओ में उलझा चन्दा माथे बिंदिया सा चमका ...
बेहतरीन मीता रोचकता से परिपूर्ण काव्य
बहुत सा आभार मीता ।
Deleteबहुत खूब ...
ReplyDeleteये गेसू यादें हैं जिनसे छुटकारा पाना आसान नहीं ...
लाजवाब केनवस ...
जी सादर आभार आपका ना वा जी ।
Deleteक्षमा करें..
Deleteनासवा जी पढे।