. ना जाने क्या हो रहा है
कहते रावण स्वाहा हो गया
कंस वंश से नाश हो गया
हिटलर भी तो दफन हो गय
फिर भी खुले आम उन सी प्रवृत्तियां
विद्रूप आधिपत्य जमाये बैठी चहुँ और
दशानन सौ मुख लिये घुम रहा
कंश की सारी क्रूरता तांडव कर रही
हिटलर सत्ता के द्वारा पर अट्टहास कर रहा
लगता है तीनों की आत्मा का मिलन हो गया
संसार मे शैतानों ने श्रोणित बीज बो दिये
दंभ, अत्याचार अतिचार, लालसा और भोग का
मंचन हो खुला नाटक खेला जा रहा
सूत्र धार पीछे बैठा मुस्कुरा रहा
मानवता कराह रही
नैतिकता दम तोड गई
संस्कार बीते युग की कहानी बन चुके
सदाचार ऐतिहासिक तथ्य बन सिसक रहे
हैवानियत बेखौफ घुम रही
नई सदी मे क्या क्या हो रहा है
इंसान इंसानियत खो के इतरा रहा है
और ऊपर वाला ना देख रहा ना सुन रहा ना बोल रहा है
जाने क्या हो रहा है जाने क्या हो रहा है।
कुसुम कोठारी ह
कहते रावण स्वाहा हो गया
कंस वंश से नाश हो गया
हिटलर भी तो दफन हो गय
फिर भी खुले आम उन सी प्रवृत्तियां
विद्रूप आधिपत्य जमाये बैठी चहुँ और
दशानन सौ मुख लिये घुम रहा
कंश की सारी क्रूरता तांडव कर रही
हिटलर सत्ता के द्वारा पर अट्टहास कर रहा
लगता है तीनों की आत्मा का मिलन हो गया
संसार मे शैतानों ने श्रोणित बीज बो दिये
दंभ, अत्याचार अतिचार, लालसा और भोग का
मंचन हो खुला नाटक खेला जा रहा
सूत्र धार पीछे बैठा मुस्कुरा रहा
मानवता कराह रही
नैतिकता दम तोड गई
संस्कार बीते युग की कहानी बन चुके
सदाचार ऐतिहासिक तथ्य बन सिसक रहे
हैवानियत बेखौफ घुम रही
नई सदी मे क्या क्या हो रहा है
इंसान इंसानियत खो के इतरा रहा है
और ऊपर वाला ना देख रहा ना सुन रहा ना बोल रहा है
जाने क्या हो रहा है जाने क्या हो रहा है।
कुसुम कोठारी ह
सच में जाने क्या हो गया है मनुष्य को,पशु बनता जा रहा है असभ्यता और पाशविक की सारी हदें पार कर नये कीर्तिमान स्थापित किये जा रहा है।
ReplyDeleteविचारणीय सुंदर समसामयिक रचना दी।
आभार श्वेता सचमुच सभ्यता अपने दुस्कर मोड़ पर खडी है धारासाही होने को, सामायिक रचनाओं पर सुधि पाठको की प्रतिक्रिया मिल जाये तो लिखना सार्थक हो जाता है ।
Deleteसस्नेह।
वाह सटीक .सत्य और तीक्ष्ण लेखन ...जाने क्या हो गया है .....
ReplyDeleteमानवता को जंग का गई
इंसान करें व्यभिचार
दुर्जनों का राज है कायम
सज्जनता भई लाचार !
कुटिलता के कीर्तिमान
हर और स्थापित है
कौन अधिक पाशविक बनता
इस दौड़ मैं शमिल है !
सत्य .सटीक ओए तीक्ष्ण लेखन ....बेहतरीन
ReplyDeleteसज्जनता को जंग खा गई
इंसान बना दुर्दांत
बदनीयती का रोज यहां
होता है घमासान
कौन अधिक पाशविक होगा
इस दौड़ मैं शामिल है
रावण कंस को पीछे छोड़ा
इतने बड़े दानव है !
वाह मीता आपकी प्रतिक्रिया रचना को पूर्ण विस्तार और समर्थन देती बहुत दम दार पंक्तियाँ आपकी,
Deleteलेखन गति पा गया ।सस्नेह ढेर सा आभार।
वाह सखी सत्य लिखा आप ने
ReplyDeleteकभी कभी हकीकत इतनी कड़वी होती है की मन को दुखी कर देती है
बहुत अच्छा लिखा।
आभार सखी हकीकत सदैव कडवी ही होती है रचना को आपका स्नेह मिला लिखना सार्थक हुवा ।
Deleteबहुत सुंदर रचना कुसुम जी
ReplyDeleteसस्नेह आभार मित्र जी ।
Deleteनई सदी में इंसानियत पर कुठाराघात अद्भूत रचना
ReplyDeleteजी सादर आभार प्रोत्साहन के लिये।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
१७ जून २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सस्नेह आभार पांच लिंकों का आनंद में रचना को शामिल करने के लिए।
Deleteआज खोती जा यही इंसानियत को आपने अपने शब्दों द्वारा बहुत खूबसूरती के साथ उकेरा है प्रिय सखी कुसुम जी ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार शुभा जी आपकी सार्थक प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली ।
Deleteलगता है तीनों की आत्मा का मिलन हो गया
ReplyDeleteसंसार मे शैतानों ने श्रोणित बीज बो दिये
सच ,नज़ारा कुछ ऐसा ही हो गया हैं ,लेकिन इनका अंत भी निश्चित हैं ,बहुत सार्थक लेखन ,सादर नमस्कार कुसुम जी
बहुत बहुत आभार कामिनी जी आपकी सराहना और समर्थन के साथ सुंदर व्याख्या मिली।
Deleteसस्नेह