मन का श्रृंगार है सावन
सावन की गठरी मे
कितने अनमोल रत्न भरे ।
भूले किस्से यादों के मेले
इंद्रधनुषी आसमान
बरसती बुंदों की
गुनगुनाती बधाईयां
थिरकता झुमता तन मन
अपनों से चहकता आंगन
सौरभ से महकती बगिया
मिट्टी की सौंधी सुगंध ।
सावन की गठरी मे
कितने अनमोल रत्न भरे।
नव विवाहिताओं को
पिया के साथ पहली
फुहार का आनंद
मायके आने का चाव
मन को रिझाती बुलाती
झूले की कतारें
चाहतों की बरसती रिमझिम ।
सावन की गठरी मे
कितने अनमोल रत्न भरे।
खेती को जीवन प्राण
किसानो को अनुपम उपहार
जीवन की आस
झरनों को राग
नदियों को कलकल बहाव
सकल संसार को सरस सुधा ।
सावन की गठरी मे
कितने अनमोल रत्न भरे।।
कुसुम कोठारी।
सावन की गठरी मे
कितने अनमोल रत्न भरे ।
भूले किस्से यादों के मेले
इंद्रधनुषी आसमान
बरसती बुंदों की
गुनगुनाती बधाईयां
थिरकता झुमता तन मन
अपनों से चहकता आंगन
सौरभ से महकती बगिया
मिट्टी की सौंधी सुगंध ।
सावन की गठरी मे
कितने अनमोल रत्न भरे।
नव विवाहिताओं को
पिया के साथ पहली
फुहार का आनंद
मायके आने का चाव
मन को रिझाती बुलाती
झूले की कतारें
चाहतों की बरसती रिमझिम ।
सावन की गठरी मे
कितने अनमोल रत्न भरे।
खेती को जीवन प्राण
किसानो को अनुपम उपहार
जीवन की आस
झरनों को राग
नदियों को कलकल बहाव
सकल संसार को सरस सुधा ।
सावन की गठरी मे
कितने अनमोल रत्न भरे।।
कुसुम कोठारी।
वाह वाह .....कोमल भावों को आहिस्ता से संवरना ...और सजा देना ....बेहतरीन
ReplyDeleteसावन की गठरी मैं अनमोल रत्न भरे ......
भावों की खोल दी गठरी
रत्न भी इत उत बिखर गये
बड़े जतन से बांध दिये थे
पुनि मन आंगन बिखर गये !
सस्नेह आभार मीता, आपकी प्रतिपंक्तियां खुद एक काव्य का गठन है ,मनमोहक प्रतिक्रिया ।
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 29 जुलाई 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसादर आभार सखी दी आपक्षको देख मन उत्साहित हुवा सदा स्नेह बनाये रखें।
Deleteमै अवश्य उपस्थित रहूंगी ।
सादर।
वाह्ह्ह् वाह्ह्ह् मीता, सावन के अहसासों को जीवंत कर दिया।👌👌👌👌👌
ReplyDeleteस्नेह आभार मीता आह्लादित करती आपकी प्रतिक्रिया ।
Deleteसस्नेह।
लाजवाब ,शानदार, बेमिसाल बहुत बढ़िया । भा गई आप की रचना।
ReplyDeleteसस्नेह आभार सखी मन भावन आपकी प्रतिक्रिया मन भा गई।
Delete
ReplyDeleteसावन की गठरी मे
कितने अनमोल रत्न भरे ।
भूले किस्से यादों के मेले
इंद्रधनुषी आसमान वाह बेहतरीन रचना 👌👌👌👌
ढेर सा आभार मित्र जी उत्साहित करती प्रतिक्रिया आपकी।
Deleteसावन की गठरी में बहुत से अनमोल रंग भर दिए हैं आप ने , बहुत सुन्दर रचना कुसुम जी ।
ReplyDeleteसादर आभार मीना जी आपकी सक्रिय प्रतिक्रिया से सावन और भी सरस हुवा ।
Deleteसस्नेह ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteसादर आभार ।
Deleteवाह आपने तो सावन और उसकी मस्ती को कागज़ पर उतार दिया ... बधाई
ReplyDeleteजी शुक्रिया आपके उत्साह वर्धन का
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteसावन की बात ही कुछ अलग है ...
ReplyDeleteये प्रेम की सौगात लता है तो विरह की चुभन भी तेज़ कर देता है ...
लाजवाब भाव समेट कर लिखी रचना ...
जी शुक्रिया विस्तृत प्रतिक्रिया रचना को आधार देती सी ।
Deleteसादर।