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Friday, 27 July 2018

सावन की गठरी

मन का श्रृंगार है सावन

सावन की गठरी मे
कितने अनमोल रत्न भरे ।

भूले किस्से यादों के मेले
इंद्रधनुषी आसमान
बरसती बुंदों की
गुनगुनाती बधाईयां
थिरकता झुमता तन मन
अपनों से चहकता आंगन
सौरभ से महकती बगिया
मिट्टी की सौंधी सुगंध ।

सावन की गठरी मे
कितने अनमोल रत्न भरे।

नव विवाहिताओं को
पिया के साथ पहली
फुहार का आनंद
मायके आने का चाव
मन को रिझाती बुलाती
झूले की कतारें
चाहतों की बरसती रिमझिम ।

सावन की गठरी मे
कितने अनमोल रत्न भरे।

खेती को जीवन प्राण
किसानो को अनुपम उपहार
जीवन की आस
झरनों को राग
नदियों को कलकल बहाव
सकल संसार को सरस सुधा ।

सावन की गठरी मे
कितने अनमोल रत्न भरे।।
            कुसुम कोठारी।

19 comments:

  1. वाह वाह .....कोमल भावों को आहिस्ता से संवरना ...और सजा देना ....बेहतरीन
    सावन की गठरी मैं अनमोल रत्न भरे ......
    भावों की खोल दी गठरी
    रत्न भी इत उत बिखर गये
    बड़े जतन से बांध दिये थे
    पुनि मन आंगन बिखर गये !

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    1. सस्नेह आभार मीता, आपकी प्रतिपंक्तियां खुद एक काव्य का गठन है ,मनमोहक प्रतिक्रिया ।

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 29 जुलाई 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. सादर आभार सखी दी आपक्षको देख मन उत्साहित हुवा सदा स्नेह बनाये रखें।
      मै अवश्य उपस्थित रहूंगी ।
      सादर।

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  3. वाह्ह्ह् वाह्ह्ह् मीता, सावन के अहसासों को जीवंत कर दिया।👌👌👌👌👌

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    1. स्नेह आभार मीता आह्लादित करती आपकी प्रतिक्रिया ।
      सस्नेह।

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  4. लाजवाब ,शानदार, बेमिसाल बहुत बढ़िया । भा गई आप की रचना।

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    1. सस्नेह आभार सखी मन भावन आपकी प्रतिक्रिया मन भा गई।

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  5. सावन की गठरी मे
    कितने अनमोल रत्न भरे ।

    भूले किस्से यादों के मेले
    इंद्रधनुषी आसमान वाह बेहतरीन रचना 👌👌👌👌

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    1. ढेर सा आभार मित्र जी उत्साहित करती प्रतिक्रिया आपकी।

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  6. सावन की गठरी में बहुत से अनमोल रंग भर दिए हैं आप ने , बहुत सुन्दर रचना कुसुम जी ।

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    1. सादर आभार मीना जी आपकी सक्रिय प्रतिक्रिया से सावन और भी सरस हुवा ।
      सस्नेह ।

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  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  8. वाह आपने तो सावन और उसकी मस्ती को कागज़ पर उतार दिया ... बधाई

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    1. जी शुक्रिया आपके उत्साह वर्धन का

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  9. सावन की बात ही कुछ अलग है ...
    ये प्रेम की सौगात लता है तो विरह की चुभन भी तेज़ कर देता है ...
    लाजवाब भाव समेट कर लिखी रचना ...

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    1. जी शुक्रिया विस्तृत प्रतिक्रिया रचना को आधार देती सी ।
      सादर।

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