Wednesday, 11 July 2018

दृढ़ संकल्प का दीप

दृढ़ संकल्प का दीप

दीप जला सखी दीप जला
निराशा के तम को भगाने
आशा का एक दीप जला
राह हो कितनी भी मुश्किल
दृढ़ संकल्प का दीप जला
रिश्तों को रखना संभाले
स्नेह का एक दीप जला
सब कुछ नही पर कुछ पाना है
विश्वास का एक दीप जला
स्वर्णिम रश्मि खड़ी है द्वारे
सूरज सा एक दीप जला
दीप जला सखी दीप जला
        कुसुम कोठारी

12 comments:

  1. वआआह
    बेहतरीन
    सैदर

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    1. सादर आभार सखी दी आप को पसंद आ गई लेखन सार्थक हुवा।
      शुभ दिवस ।

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  2. वाह बहुत सुंदर दीप जला सखी दीप जला

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    1. सस्नेह आभार अनुराधा जी ।

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  3. बहुत खूब सखी
    वैसे तो आप की हर रचना सकारात्मक होती है
    आज की रचना में भी खूबसूरत संदेश है
    काश सब आप की तरह सोचते

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    1. आपका स्नेह सर आंखों पर सखी, आशा वाद और कर्मशील बन कर रहो तो जीवन सदा मुस्कुराता है, दीर्घ सूत्री नही कि हाथ पर हाथ धरे बैठे रहें। और आपकी प्रतिक्रिया सदा मेरे पक्ष मे होती है ।
      स्नेह आभार

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  4. स्वर्णिम रश्मि खड़ी है द्वारे
    सूरज सा एक दीप जला
    दीप जला सखी दीप जला
    सही कहा कुसुम दी कि दिप जलाने से ही अंधेरा दूर होगा। कोशिश हमे ही करनी होगी।

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    1. स्नेह आभार ज्योति बहन आपका समर्थन रचना को गति देता सा।

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  5. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १६ जुलाई २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. सस्नेह आभार,, मै उपस्थित रहूंगी

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  6. निराशा एक अंधकार है जो मन की आशा से दूर भाग जाता है ... हर किसी को इस दीप की आवश्यकता है आज ...
    सुंदर रचना ...

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  7. सादर आभार आदरणीय।

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