आदित्य आचमन
लो चंदन महका और खुशबू उठी हवाओं मेंं
कैसी सुषमा निखरी वन उपवन उद्धानों मेंं
निकला उधर अंशुमाली गति देने जीवन मेंं
निशांत का,संगीत ऊषा गुनगुना रही अंबर मेंं
मन की वीणा पर झंकार देती परमानंद मेंं
महा अनुगूंज बन बिखर गई सारे नीलांबर मेंं
वो देखो हेमांगी पताका लहराई क्षितिज मेंं
पाखियों का कलरव फैला चहूं और भुवन मेंं
कुमुदिनी लरजने लगी सूर्यसुता के पानी मेंं
विटप झुम उठे हवाओं के मधुर संगीत मेंं
वागेश्वरी स्वयं नवल वीणा ले उतरी धरा मेंं
कर लो गुनगान अद्वय आदित्य के आचमन मेंं
लो फिर आई है सज दिवा नवेली के वेश मेंं
करे सत्कार जगायें नव निर्माण विचारों मेंं।
कुसुम कोठारी ।
लो चंदन महका और खुशबू उठी हवाओं मेंं
कैसी सुषमा निखरी वन उपवन उद्धानों मेंं
निकला उधर अंशुमाली गति देने जीवन मेंं
निशांत का,संगीत ऊषा गुनगुना रही अंबर मेंं
मन की वीणा पर झंकार देती परमानंद मेंं
महा अनुगूंज बन बिखर गई सारे नीलांबर मेंं
वो देखो हेमांगी पताका लहराई क्षितिज मेंं
पाखियों का कलरव फैला चहूं और भुवन मेंं
कुमुदिनी लरजने लगी सूर्यसुता के पानी मेंं
विटप झुम उठे हवाओं के मधुर संगीत मेंं
वागेश्वरी स्वयं नवल वीणा ले उतरी धरा मेंं
कर लो गुनगान अद्वय आदित्य के आचमन मेंं
लो फिर आई है सज दिवा नवेली के वेश मेंं
करे सत्कार जगायें नव निर्माण विचारों मेंं।
कुसुम कोठारी ।
वाह बहुत सुंदर रचना 👌
ReplyDeleteआपकी त्वरित प्रतिक्रिया सदा मन मोह लेती है सखी, स्नेह आभार ।
Deleteअप्रतिम
ReplyDeleteनिसर्ग है ही बहुत सुन्दर और आप की रचना उसे और भी खूबसूरत बना देती है।
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना सखी। अद्भुत
बहुत ढेर सा आभार सखी आपकी सराहना सदा मन मोह होती है ।
Deleteआभार बहुत सा, और आना भी निश्चित है।
ReplyDeleteसादर।
जी नमस्ते,
ReplyDelete३ अगस्त की जगह २ अगस्त का आमंत्रण छप गया। टंकन त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ३अगस्त २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
कोई नही, ऐसा हो जाता है।
Deleteसस्नेह।
बहुत ही खूबसूरत रचना
ReplyDeleteजी सादर आभार आपकी प्रोत्साहित करती प्रतिक्रिया का।
Deleteउम्दा लेखन आदरणीया
ReplyDeleteसस्नेह आभार सुप्रिया जी आपको देख सुखद अनुभूति।
Deleteउत्साह वर्धन के लिये ढेर सा आभार ।
जी बहुत बहुत आभार रचना को स्तंभ देती सुंदर सराहना ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर शब्द विन्यास ... नव विचारों का निर्माण तो आपकी लेखनी कर रही है ...
ReplyDeleteउत्तम सृजन
जी आदरणीय बहुत सा आभार, आपकी प्रोत्साहित करती, पंक्ति विशेष पर विशेष टिप्पणी देती मनभावन प्रतिक्रिया ।
Deleteसादर।
जगायें नव निर्माण विचारों मेंं।
ReplyDeleteमन को प्रफुल्लित करने वाली रचना
जी बहुत सा आभार आपकी प्रोत्साहित करती प्रतिक्रिया लेखन को आगे और दृढ़ता देगी ।
Deleteसादर।
सादर आभार आदरणीय मै उपस्थित रहूंगी।
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