. स्वतंत्रता दिवस से पहले
स्वतंत्रता दिवस पर एक बार
फिर तिरंगा फहरायेगा
कुछ कश्मे वादे होगें
कुछ आश्वासनो का
परचम लहरायेगा
हम फिर भ्रमित हो भुलेंगे
प्रजातंत्र बन गया
लाठी वालों की भैंस
और देश बन गया
मूक बधिरों का आवास
लाठी वाले खूब !
अपनी भैंस चरा रहे
हम पंगू बन बैठे
स्वतंत्रता दिवस मना रहे ।
ना जाने देश कहां जायेगा
हम जा रहे रसातल को
यद्यपि दीन दुखी गारत है
विश्व में फिर भी
सर्वोच्च भारत है
गाना नही अब जगना
और जगाना है
ठंडे हुवे लहू को
फिर लावा बनाना है
मां भारती को सच में
शिखर पर लाना है
मजबूत इरादों वाला
स्वतंत्रता दिवस मनाना है।
कुसुम कोठारी ।
स्वतंत्रता दिवस पर एक बार
फिर तिरंगा फहरायेगा
कुछ कश्मे वादे होगें
कुछ आश्वासनो का
परचम लहरायेगा
हम फिर भ्रमित हो भुलेंगे
प्रजातंत्र बन गया
लाठी वालों की भैंस
और देश बन गया
मूक बधिरों का आवास
लाठी वाले खूब !
अपनी भैंस चरा रहे
हम पंगू बन बैठे
स्वतंत्रता दिवस मना रहे ।
ना जाने देश कहां जायेगा
हम जा रहे रसातल को
यद्यपि दीन दुखी गारत है
विश्व में फिर भी
सर्वोच्च भारत है
गाना नही अब जगना
और जगाना है
ठंडे हुवे लहू को
फिर लावा बनाना है
मां भारती को सच में
शिखर पर लाना है
मजबूत इरादों वाला
स्वतंत्रता दिवस मनाना है।
कुसुम कोठारी ।
बेहतरीन रचना जय हिन्द जय भारत
ReplyDeleteआभार सखी जय हिंद।
Deleteबहुत खूबसूरत रचना ....👌👌👌 जय हिन्द
ReplyDeleteजी सखी सस्नेह आभार ।जय भारत भारती ।
Deleteबहुत सुंदर और.समसामयिक परिस्थितियों पर सटीक प्रहार करती आपकी रचना.बहुत अच्छी लगी दी...👌
ReplyDeleteसस्नेह आभार श्वेता ।आपकी प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
Deleteजय हिंद।
बहुत बहुत आभार अमित जी पसंद आई आपको । जय हिंद।
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