. मंन पंछी
सुबह उड़ता आसमां में शाम ज़मी पर होता है
मन पंछी तेरी माया अद्भुत जाने क्या तूं बोता है
कितनी भी हो धूप प्रचंड पंख ही तेरी छाया है
जो तूने है मन में ठाना सब साबित कर पाया है
उड़ने का उन्माद ऊँचाईयों तक ले जाता है
धरा से आसमान तक पंखों में भर लाता है
तो घायल होकर कभी तूं नीड़ में लौट आता है
फिर अगली उड़ान को तूं तैयार हो जाता है
कितने सुख और दुख कितने बांहों में भरता है
तेरे अंदर कर्ता के गुण तूं खुद भाग्य विधाता है।
कुसुम कोठारी।
सुबह उड़ता आसमां में शाम ज़मी पर होता है
मन पंछी तेरी माया अद्भुत जाने क्या तूं बोता है
कितनी भी हो धूप प्रचंड पंख ही तेरी छाया है
जो तूने है मन में ठाना सब साबित कर पाया है
उड़ने का उन्माद ऊँचाईयों तक ले जाता है
धरा से आसमान तक पंखों में भर लाता है
तो घायल होकर कभी तूं नीड़ में लौट आता है
फिर अगली उड़ान को तूं तैयार हो जाता है
कितने सुख और दुख कितने बांहों में भरता है
तेरे अंदर कर्ता के गुण तूं खुद भाग्य विधाता है।
कुसुम कोठारी।
ReplyDeleteकितने सुख और दुख कितने बांहों में भरता है
तेरे अंदर कर्ता के गुण तूं खुद भाग्य विधाता है
बेहद खूबसूरत रचना कुसुम जी
बहुत बहुत आभार सखी।
Deleteतेरे अंदर कर्ता के गुण तू ही भाग्य विधाता ......बेहतरीन ...मन की परिभाषा ..👌👌👌👌👌✌👌👌
ReplyDeleteसस्नेह आभार मीता आपकी प्रतिक्रिया रचना के समानांतर।
Deleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 9 अगस्त 2018 को प्रकाशनार्थ 1119 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
जी सादर आभार मेरी रचना को चुनने के लिये
ReplyDeleteमै जरूर हाजिर होऊंगी।
मन की पंछी के साथ बेहतरीन तुलना। संवादात्मक लहजे में मन की वास्तविक प्रवृत्ति का चित्रण करती सुंदर रचना
ReplyDeleteआदरणीय मीना जी आपकी इतनी सुंदर सराहना सचमुच प्रोत्साहन से भरपूर और मन को आनंदित करती सी।
Deleteसादर आभार।
कितने सुख और दुख कितने बांहों में भरता है
ReplyDeleteतेरे अंदर कर्ता के गुण तूं खुद भाग्य विधाता है।
बहुत खूब....., मन की गहराइयों को छूता सृजन ।
सादर आभार मीना जी आप प्रबुद्ध रचनाकारों की प्रतिक्रिया पाकर रचना सार्थक हो जाती है।
Deleteपुनः आभार ।
वाह्ह....बेहद सुंदर सारगर्भित संदेश देती सराहनीय रचना दी। हमेशा की तरह सकारात्मकता से भरपूर एक नयी ऊर्जा का संचरण करती हुई।
ReplyDeleteप्रिय श्वेता बहुत अच्छा लगता है आपकी प्रतिक्रिया देख कर स्नेह आभार ।
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