हिमालय पर चार वर्ण पिरामिड रचनाऐं।
मै
मौन
अटल
अविचल
आधार धरा
धरा के आंचल
पाया स्नेह बंधन।
ये
स्वर्ण
आलोक
चोटी पर
बिखर गया
पर्वतों के पीछे
भास्कर मुसकाया।
हूं
मै,भी
बहती
अनुधारा
अविरल सी
उन्नत हिम का
बहता अनुराग।
लो
फिर
झनकी
मधु वीणा
पर्वत राज
गर्व से हर्षाया
फहराया तिंरगा।
जबरदस्त
ReplyDeleteवाहः बहुत उम्दा
जी लोकेश जी आपका तहे दिल से शुक्रिया।
Deleteअरे वाह्हह दी..बहुत सुंदर👌👌👌 नयी विधा में सृजन के लिए बधाई👍💐
ReplyDeleteबहुत सुंदर वर्ण पिरामिड है। सुगघ,सुगठित,धाराप्रवाह👌👌
इस विधा में मेरा पहला प्रयोग है श्वेता आपको अच्छी लगी जानकर सच मन में संतोष हुवा, ढेर सा स्नेह आभार
Deleteवाह बेहतरीन बहुत ही सुन्दर वर्ण पिरामिड सखी 👌👌
ReplyDeleteसखी सस्नेह आभार, आप मेरी रचनाओं के सदा सहभागी हो मूझे इस से प्रेरणा मिलती है,और अच्छा लिख सकूं।
Deleteसस्नेह।
वाह!!बेहतरीन वर्ण पिरामिड.
ReplyDeleteसस्नेह आभार पम्मी जी, आपकी सराहना से लेखन को और बल मिलेगा।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार ३१ अगस्त २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सादर आभार "मै अवश्य उपस्थित रहूंगी।
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर वर्ण पिरामिड सखी 👏👏👏
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार स्नेह सखी।
Deleteवाह बेहतरीन
ReplyDeleteजी सादर आभार ।
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