एक गुलाब की वेदना
कांटो में भी हम तो महफूज़ थे।
खिलखिलाते थे ,सुरभित थे ,
हवाओं से खेलते झुलते थे ,
हम मतवाले कितने खुश थे ।
कांटो में भी हम महफूज़ थे ।
फिर तोड़ा किसीने प्यार से ,
सहलाया हाथो से , नर्म गालों से ,
दे डाला हमे प्यार की सौगातों में ।
कांटो मे भी हम महफूज़ थे ।
घड़ी भर की चाहत में संवारा ,
कुछ अंगुलियों ने हमे दुलारा ,
और फिर पंखुरी पंखुरी बन बिखरे ।
कांटो में भी महफूज थे हम ।
हां तब कितने खुश थे हम।।
कुसुम कोठारी ।
कांटो में भी हम तो महफूज़ थे।
खिलखिलाते थे ,सुरभित थे ,
हवाओं से खेलते झुलते थे ,
हम मतवाले कितने खुश थे ।
कांटो में भी हम महफूज़ थे ।
फिर तोड़ा किसीने प्यार से ,
सहलाया हाथो से , नर्म गालों से ,
दे डाला हमे प्यार की सौगातों में ।
कांटो मे भी हम महफूज़ थे ।
घड़ी भर की चाहत में संवारा ,
कुछ अंगुलियों ने हमे दुलारा ,
और फिर पंखुरी पंखुरी बन बिखरे ।
कांटो में भी महफूज थे हम ।
हां तब कितने खुश थे हम।।
कुसुम कोठारी ।
वाह बहुत खूब 👌👌 गुलाब की वेदना को क्या खूब शब्दों में बयां किया है बहुत सुंदर 👌
ReplyDeleteसही है ना सखी कांटों में रह कर फी फूल मुस्कुराते हैं और डाली से टूट कर कितनी जल्दी पस्त हो जाते हैं।
Deleteढेर सा स्नेह आभार सखी।
बहुत खूब ...घूम लिया हमने जग सारा
ReplyDeleteआपना घर है सबसे प्यारा
जी सही कहा मीता जड से उखड कर कौन कितना पनपता है और पनप भी जाता है तो अंदर कितना दर्द समेटता है।
Deleteस्नेह आभार
सच कहा
ReplyDeleteफूल कांटो की हिफाज़त में ही महफ़ूज़ रहते हैं
बहुत सुंदर
सादर आभार लोकेश जी आपकी प्रतिक्रिया उत्साह वर्धक होती है।
Deleteबहुत ही सुन्दर 👌👌👌
ReplyDeleteगुलाब की वेदना को क्या खूब शब्दों में बयां किया 👏👏👏
बहुत सा आभार सखी आपके स्नेह का।
Deleteजी आभार अमित जी आपकी प्रतिक्रिया मन को उत्साहित कर गई।
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