पावस का पहला संगीत
आज चली कुछ
हल्की हल्की सी पुरवाई
एक भीनी सौरभ से
भर गई सभी दिशाऐं
मिट्टी महकी सौंधी सौंधी
श्यामल बदरी छाई
कर लो सभी स्वागत
देखो देखो बरखा आई
कितना झुलसा तन धरती का
आग सूरज ने बरसाई
अब देखो खेतीहरों के
नयनों भी खुशियाँ छाई
आजा रे ओ पवन झकोरे
थाप लगा दे नीरद पर
अब तूं बदरी बिन बरसे
नही यहां से जाना
कब से बाट निहारे तेरी
सूखा तपता सारा जमाना
मिट्टी,खेत,खलिहान की
मिट जाए अतृप्त प्यास
आज तूझे बरसना होगा
मिलजुल करते जन अरदास ।
कुसुम कोठारी ।
आज चली कुछ
हल्की हल्की सी पुरवाई
एक भीनी सौरभ से
भर गई सभी दिशाऐं
मिट्टी महकी सौंधी सौंधी
श्यामल बदरी छाई
कर लो सभी स्वागत
देखो देखो बरखा आई
कितना झुलसा तन धरती का
आग सूरज ने बरसाई
अब देखो खेतीहरों के
नयनों भी खुशियाँ छाई
आजा रे ओ पवन झकोरे
थाप लगा दे नीरद पर
अब तूं बदरी बिन बरसे
नही यहां से जाना
कब से बाट निहारे तेरी
सूखा तपता सारा जमाना
मिट्टी,खेत,खलिहान की
मिट जाए अतृप्त प्यास
आज तूझे बरसना होगा
मिलजुल करते जन अरदास ।
कुसुम कोठारी ।
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