फिर से आज एक कमाल करने आया हूं
अंधो के शहर मे आईना बेचने आया हूं।
संवर कर सुरत तो देखी कितनी मर्तबा शीशे मे
आज बीमार सीरत का जलवा दिखाने आया हूं।
जिन्हें ख्याल तक नही आदमियत का
उनकी अकबरी का पर्दा उठाने आया हूं।
वो कलमा पढते रहे अत्फ़ ओ भल मानसी का
उन के दिल की कालिख का हिसाब लेने आया हूं।
करते रहे उपचार किस्मत ए दयार का
उन अलीमगरों का लिलार बांच ने आया हूं।
कुसुम कोठारी।
अकबरी=महानता अत्फ़=दया
किस्मत ए दयार= लोगो का भाग्य
अलीमगरों = बुद्धिमान
लिलार =ललाट(भाग्य)
अंधो के शहर मे आईना बेचने आया हूं।
संवर कर सुरत तो देखी कितनी मर्तबा शीशे मे
आज बीमार सीरत का जलवा दिखाने आया हूं।
जिन्हें ख्याल तक नही आदमियत का
उनकी अकबरी का पर्दा उठाने आया हूं।
वो कलमा पढते रहे अत्फ़ ओ भल मानसी का
उन के दिल की कालिख का हिसाब लेने आया हूं।
करते रहे उपचार किस्मत ए दयार का
उन अलीमगरों का लिलार बांच ने आया हूं।
कुसुम कोठारी।
अकबरी=महानता अत्फ़=दया
किस्मत ए दयार= लोगो का भाग्य
अलीमगरों = बुद्धिमान
लिलार =ललाट(भाग्य)
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteसादर आभार
Deleteवाह ! क्या बात है ! खूबसूरत प्रस्तुति ! बहुत खूब आदरणीया ।
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय, आपकी प्रतिक्रिया उत्साह वर्धन करती है।
Deleteवाह वाह ...सटीक लाजवाब
ReplyDeleteमुखौटा उतारती रचना
सस्नेह आभार मीता सार्थक मनोबल बढाती आपकी प्रतिक्रिया ।
Deleteवाह्ह्ह् वाह्ह्ह् लाज़वाब कर दित्ता👏👏👏👏👏
ReplyDeleteइतनी लम्बी वाह वाही मीता, स्नेह आभार।
Deleteउत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया ।
Waah bahut khoob .
ReplyDeleteवाह !! बहुत ख़ूब!!
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