मंजर हसीं वादियों के
हां जलते रहेंगे चराग यूंही दिल की वफाओं मे
करना ही होगा अब यकीं मौसम की हवाओं मे
खामोशियां कब बयां होगी किसी जरूरत मे
बयां तो करना ही होगा खामोश सदाओं मे
नशेमन शीशे का क्यों बनाते हो बेताबियों मे
कुछ भी न बच पायेगा पत्थर की सजाओंं मे
चाहत मे बस अहसास की छूवन हो यादो मे
जैसे मौजे छूकर साहिल को लौटती दुआओं मे
हसीं वादियों के मंजर कितने खुशनुमा चमन मे
भीगा दामन धरा का घुमड़ती काली घटाओं मे।।
कुसुम कोठारी।
हां जलते रहेंगे चराग यूंही दिल की वफाओं मे
करना ही होगा अब यकीं मौसम की हवाओं मे
खामोशियां कब बयां होगी किसी जरूरत मे
बयां तो करना ही होगा खामोश सदाओं मे
नशेमन शीशे का क्यों बनाते हो बेताबियों मे
कुछ भी न बच पायेगा पत्थर की सजाओंं मे
चाहत मे बस अहसास की छूवन हो यादो मे
जैसे मौजे छूकर साहिल को लौटती दुआओं मे
हसीं वादियों के मंजर कितने खुशनुमा चमन मे
भीगा दामन धरा का घुमड़ती काली घटाओं मे।।
कुसुम कोठारी।
वाह..
ReplyDeleteआभार..
सादर...
शुभ प्रभात सखी
सादर आभार सखी उत्साह वर्धन के लिये आपको यहां देख मन प्रफुल्लित हुवा ।
Deleteशुभ दिवस
वाहः बहुत ही खूब
ReplyDeleteलोकेश जी शुक्रिया उत्साह वर्धन के लिये
Deleteवाहह!इस पर तो कोई गीत बन जाए बहुत सुंदर
ReplyDeleteगज़ब की लेखनी है आपकी..
सादर।
सस्नेह आभार पम्मी जी, आपकी सराहना मन लुभा गई।
Deleteमै गीत बना दूं
तुम उसे गुनगुना दो
फूल चुन लाया हूं
गूंथ इसे बस हार बना दो
शुभ अपराह्न
बेहतरीन भावपूर्ण रचना कुसुम जी ।
ReplyDeleteअंतर हृदय से आभार मीना जी आपके स्नेह से रचना सार्थक हुई ।
Deleteमंजर वादियों के हसीन हो चले
ReplyDeleteकवि की कलम जब उनपे है चले !
बेहतरीन ...मंजर सजीव
सस्नेह आभार मीता ।
Deleteसुंदर मन भावन प्रतिक्रिया ।
शुभ अपराह्न ।
सादर आभार अमित जी मन भावन प्रतिक्रिया।
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय दी।
ReplyDeleteमै अवश्य आऊंगी ।
सस्नेह आभार अनुराधा जी ।
ReplyDeleteवाह!!कुसुम जी,लाजवाब!!
ReplyDeleteस्नेह आभार सखी ।
Deleteवाह दीदी जी जितनी गहरी उतनी सुंदर वाह वाह 👌
ReplyDeleteसस्नेह आभार बहन आपका आना और भी हर्षित कर गया।
ReplyDeleteबहुत खूब ...
ReplyDeleteपत्थर के सदायें शीशे के मकानों को बर्बाद कर देती हैं ....
लाजवाब शेर हैं नए अंदाज़ के ...
सादर आभार आदरणीय आपकी प्रतिक्रिया उत्साह बढाती है और कुछ और अच्छा लिखने की प्रेरणा देती है।
Deleteबहुत सुंदर लयबद्ध, सरस रचना रचना प्रिय कुसुम बहन !! आपकी लेखनी का जवाब नही !!!!!!
ReplyDeleteप्रिय रेनू बहन आपका स्नेह मिलता रहे आपकी सराहना बहुत मायने रखती है मेरे लिये।
Deleteढेर सा आभार।
आपकी भावप्रवण रचना ने एक पल के लिए हसीं वादियों का मंजर प्रत्यक्ष कर दिया । बेहतरीन शब्द संयोजन। बहुत सुंदर कुसुम जी
ReplyDeleteसस्नेह आभार अभिलाषा जी आपकी मनभावन प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
Deleteचाहत मे बस अहसास की छूवन हो यादो मे
ReplyDeleteजैसे मौजे छूकर साहिल को लौटती दुआओं मे
बहुत खूब....., अति सुन्दर सृजन कुसुम जी ।
बहुत सा आभार मीना जी आपकी प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
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