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Thursday, 28 June 2018

मंजर हसीं वादियों के

मंजर हसीं वादियों के

हां जलते रहेंगे चराग यूंही दिल की वफाओं मे
करना ही होगा अब यकीं मौसम की हवाओं मे

खामोशियां कब बयां होगी किसी जरूरत मे
बयां तो  करना ही  होगा खामोश सदाओं मे

नशेमन शीशे  का क्यों बनाते हो बेताबियों मे
कुछ भी न बच पायेगा पत्थर की सजाओंं मे

चाहत  मे  बस अहसास की छूवन  हो यादो मे
जैसे मौजे छूकर साहिल को लौटती दुआओं मे

हसीं वादियों के मंजर कितने खुशनुमा चमन मे
भीगा दामन धरा का घुमड़ती काली घटाओं मे।।

                कुसुम कोठारी।

25 comments:

  1. वाह..
    आभार..
    सादर...
    शुभ प्रभात सखी

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    1. सादर आभार सखी उत्साह वर्धन के लिये आपको यहां देख मन प्रफुल्लित हुवा ।
      शुभ दिवस

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  2. वाहः बहुत ही खूब

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    1. लोकेश जी शुक्रिया उत्साह वर्धन के लिये

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  3. वाहह!इस पर तो कोई गीत बन जाए बहुत सुंदर
    गज़ब की लेखनी है आपकी..
    सादर।

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    1. सस्नेह आभार पम्मी जी, आपकी सराहना मन लुभा गई।
      मै गीत बना दूं
      तुम उसे गुनगुना दो
      फूल चुन लाया हूं
      गूंथ इसे बस हार बना दो
      शुभ अपराह्न

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  4. बेहतरीन भावपूर्ण रचना कुसुम जी ।

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    1. अंतर हृदय से आभार मीना जी आपके स्नेह से रचना सार्थक हुई ।

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  5. मंजर वादियों के हसीन हो चले
    कवि की कलम जब उनपे है चले !
    बेहतरीन ...मंजर सजीव

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    1. सस्नेह आभार मीता ।
      सुंदर मन भावन प्रतिक्रिया ।
      शुभ अपराह्न ।

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  6. सादर आभार अमित जी मन भावन प्रतिक्रिया।

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  7. सादर आभार आदरणीय दी।
    मै अवश्य आऊंगी ।

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  8. सस्नेह आभार अनुराधा जी ।

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  9. वाह!!कुसुम जी,लाजवाब!!

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  10. वाह दीदी जी जितनी गहरी उतनी सुंदर वाह वाह 👌

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  11. सस्नेह आभार बहन आपका आना और भी हर्षित कर गया।

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  12. बहुत खूब ...
    पत्थर के सदायें शीशे के मकानों को बर्बाद कर देती हैं ....
    लाजवाब शेर हैं नए अंदाज़ के ...

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    1. सादर आभार आदरणीय आपकी प्रतिक्रिया उत्साह बढाती है और कुछ और अच्छा लिखने की प्रेरणा देती है।

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  13. बहुत सुंदर लयबद्ध, सरस रचना रचना प्रिय कुसुम बहन !! आपकी लेखनी का जवाब नही !!!!!!

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    1. प्रिय रेनू बहन आपका स्नेह मिलता रहे आपकी सराहना बहुत मायने रखती है मेरे लिये।
      ढेर सा आभार।

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  14. आपकी भावप्रवण रचना ने एक पल के लिए हसीं वादियों का मंजर प्रत्यक्ष कर दिया । बेहतरीन शब्द संयोजन। बहुत सुंदर कुसुम जी

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    1. सस्नेह आभार अभिलाषा जी आपकी मनभावन प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।

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  15. चाहत मे बस अहसास की छूवन हो यादो मे
    जैसे मौजे छूकर साहिल को लौटती दुआओं मे
    बहुत खूब....., अति सुन्दर सृजन कुसुम जी ।

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    1. बहुत सा आभार मीना जी आपकी प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।

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