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Tuesday, 26 June 2018

सुर और साज

एक सुर निकला  उठ चला
जाके विधाता से तार  मीला।

संगीत मे ताकत है इतनी
साज से उठा दिल मे मचला
मस्तिष्क का हर तार झनका
गुनगुन स्वर मध्धम सा चला
दुखियों के दुख भी कम करता
सुख मे जीवन सुरंग रंग भरता।
एक सुर..........

मधुर मधुर वीणा बजती
ज्यों आत्मा तक रस भरती
सारंगी की पंचम  लहरी
आके हिया के पास ठहरी
सितार के सातों तार बजे
ज्यों स्वर लहरी अविराम चले।
एक सुर..........

ढोलक धुनक धुनक डोली
चल कदम ताल मिलाले बोली
बांसुरी की मोहक धुन बाजी
ज्यों माधव ने  मुरली साजी
जल तरंग की मोहक तरंग
झरनो की कल कल अनंग।
एक सुर..........

तबले की है थाप सुहानी
देखो नाचे गुडिया रानी
मृदंग बोले मीठे स्वर मे
मीश्री सी घोले तन उर मे
एक तारा जब प्यार से बोले
भेद जीया के सारे खोले।
एक सुर......…..

पेटी बाजा बजे निराला
सप्त सुरों का सुर प्याला
और नगाड़ा करता शोर
ताक धिना धिन नाचे मन मोर
और बहुत से साज है खनके
सरगम का श्रृंगार बनके।
एक सुर.... .....
                 कुसुम कोठारी ।

11 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २९ जून २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    Replies
    1. मेरी रचना को चुनने के लिये स्नेह आभार श्वेता ।
      मै उपस्थित रहूंगी
      शुभ संध्या।

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  2. बहुत सुन्दर ...
    सुर का विधाता से तार मिला...
    वाह!!!

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  3. बेहतरीन रचना

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    1. सादर आभार लोकेश जी।

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  4. सादर आभार आदरणीय, उत्साह वर्धन के लिये शुक्रिया।

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  5. लेखन का उत्साह बढाती सी आपकी प्रतिक्रिया,
    बहुत बहुत आभार अमित जी ।

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  6. बहुत खूबसूरत भावाभिव्यक्ति कुसुम जी ।

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    1. बहुत बहुत आभार मीना जी स्नेह बनाये रखेंं

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  7. वाह !!! प्रिय कुसुम बहन सभी साज सजा दिए और शब्दों से सुर खुद प्रवाहित हो रहे हैं | लाजवाब लेखन - अत्यंत सरल और भावपूर्ण | सचमुच संगीत की ताकन अवर्णनीय है ये प्रभु से मिला रूहानी आनंद देती है , तो मानसिक संताप को दूर भगाने में भी सक्षम है | हार्दिक आभार बहना-- बड़ा कठिन विषय लगा मुझे पर कितना अच्छा लिख दिया आपने ||

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  8. बहुत बहुत आभार बहन रेनू जी।
    आप लोगो को अच्छा लगा तो सच लिखना सार्थक हुवा वैसे मै प्रकृति पर ज्यादा लिखती हूं पर मुझे जीवन से जुड़े हर पहलू मे ताक झांक करना अच्छा लगता है और कई बार ऐसे ही रचना का सृजन हो जाता है।
    पुनः स्नेह आभार ।

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