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Wednesday, 6 June 2018

जीवन की दहलीज

जीवंत होने का अर्थ है
जीवन की दहलीज पर
चुनौती ताजी रखें
कुछ नया खोजते रहे
क्योंकि नए की खोज में ही
हमारे भीतर जो छिपे हैं स्वर
उन्हें मुक्त कर पायेंगे
नई राग, नई धुन,
नया संगीत दे पायेंगे
नए की खोज में ही
हम  स्वयं नये रह पायेंगे
जैसे ही नया अन्वेषण बंद होता है
हम पुराने हो जाते,
जर्जर् खंडहर,
जो गिरने की राह तकने लगते हैं
रुकती है जब जब भी नदी
धार मलीन होने लगती है
शुरू हो जाती है पंक उत्पत्ति
पावनता तो सतत बहते रहने का नाम है
तभी तक धार पवित्र और निर्मल रहती है
जब तक बहती रहती है
सदा बहते रहो
निरन्तर गतिमान रहो
और सदा मन दहलीज पर
चुनौतियां ताजी रखो।
     कुसुम कोठरी।

7 comments:

  1. चुनौती रहती है तो जीने की लड़ने की इच्छा रहती है जो प्रेरित करती है ...
    सुंदर रचना ...

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    1. जी सादर आभार आपकी प्रोत्साहित करती प्रतिक्रिया लेखन का उत्साह बढाती है।

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  2. चुनौतिया ही जीवन को ऊंचाई की ओर ले जाती हैं। सुंदर प्रस्तूति।

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    Replies
    1. सादर आभार ज्योति जी सार्थक सक्रिय प्रतिक्रिया मन लुभा गई ।

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  3. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2018/06/73.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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  4. "तभी तक धार पवित्र और निर्मल रहती है
    जब तक बहती रहती है
    सदा बहते रहो
    निरन्तर गतिमान रहो
    और सदा मन दहलीज पर
    चुनौतियां ताजी रखो।"

    प्रेरणा देती सुंदर सराहनीय लाजवाब रचना

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  5. आंचल स्नेह आभार रचना की पंक्तियोंकाका सुंदरता से पुनर्चक्रण बहुत प्यारा लगा रचना का उद्देश्य स्पष्ट हुवा
    पुनः स्नेह।

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