जीवंत होने का अर्थ है
जीवन की दहलीज पर
चुनौती ताजी रखें
कुछ नया खोजते रहे
क्योंकि नए की खोज में ही
हमारे भीतर जो छिपे हैं स्वर
उन्हें मुक्त कर पायेंगे
नई राग, नई धुन,
नया संगीत दे पायेंगे
नए की खोज में ही
हम स्वयं नये रह पायेंगे
जैसे ही नया अन्वेषण बंद होता है
हम पुराने हो जाते,
जर्जर् खंडहर,
जो गिरने की राह तकने लगते हैं
रुकती है जब जब भी नदी
धार मलीन होने लगती है
शुरू हो जाती है पंक उत्पत्ति
पावनता तो सतत बहते रहने का नाम है
तभी तक धार पवित्र और निर्मल रहती है
जब तक बहती रहती है
सदा बहते रहो
निरन्तर गतिमान रहो
और सदा मन दहलीज पर
चुनौतियां ताजी रखो।
कुसुम कोठरी।
जीवन की दहलीज पर
चुनौती ताजी रखें
कुछ नया खोजते रहे
क्योंकि नए की खोज में ही
हमारे भीतर जो छिपे हैं स्वर
उन्हें मुक्त कर पायेंगे
नई राग, नई धुन,
नया संगीत दे पायेंगे
नए की खोज में ही
हम स्वयं नये रह पायेंगे
जैसे ही नया अन्वेषण बंद होता है
हम पुराने हो जाते,
जर्जर् खंडहर,
जो गिरने की राह तकने लगते हैं
रुकती है जब जब भी नदी
धार मलीन होने लगती है
शुरू हो जाती है पंक उत्पत्ति
पावनता तो सतत बहते रहने का नाम है
तभी तक धार पवित्र और निर्मल रहती है
जब तक बहती रहती है
सदा बहते रहो
निरन्तर गतिमान रहो
और सदा मन दहलीज पर
चुनौतियां ताजी रखो।
कुसुम कोठरी।
चुनौती रहती है तो जीने की लड़ने की इच्छा रहती है जो प्रेरित करती है ...
ReplyDeleteसुंदर रचना ...
जी सादर आभार आपकी प्रोत्साहित करती प्रतिक्रिया लेखन का उत्साह बढाती है।
Deleteचुनौतिया ही जीवन को ऊंचाई की ओर ले जाती हैं। सुंदर प्रस्तूति।
ReplyDeleteसादर आभार ज्योति जी सार्थक सक्रिय प्रतिक्रिया मन लुभा गई ।
Deleteआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2018/06/73.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDelete"तभी तक धार पवित्र और निर्मल रहती है
ReplyDeleteजब तक बहती रहती है
सदा बहते रहो
निरन्तर गतिमान रहो
और सदा मन दहलीज पर
चुनौतियां ताजी रखो।"
प्रेरणा देती सुंदर सराहनीय लाजवाब रचना
आंचल स्नेह आभार रचना की पंक्तियोंकाका सुंदरता से पुनर्चक्रण बहुत प्यारा लगा रचना का उद्देश्य स्पष्ट हुवा
ReplyDeleteपुनः स्नेह।