क्या रखा है ऊंच नीच मे और क्या जात पांत है
स्नेह का एक अंकुर प्रस्फुटित हो तो कोई बात है।
धर्म को ना आड बना के दुश्मनी पालो
खून बहो किसी का भी होता आखिर खून है
पीछे रह जाती सिसकियां और चित्कार है
जाना तो सब को आखिर एक ही राह है
वहाँ जाने वालो की कौन पूछता जात है
स्नेह का अंकुर प्रस्फुटित हो तो कोई बात है।
अपने ही मद मे फूलता हर नादां इंसान है
काल सिरहाने खडा करता निशब्द हास है
एक पैसा तक तो जा पाता नही साथ है
संचय करता धन के साथ कितना पाप है
पतझर आते ही देखो पेडों से झरते पात है
स्नेह का अंकुर प्रस्फुटित हो तो कोई बात है।
कितने आये चले गये विश्व विजय का ध्येय लिये
रावण जैसे यूं गये कि वंश दीप तक नही रहे
अहंकार और स्वार्थ का ना तुम संसार रचो
अनेकांत के मार्ग पर चल सभी को सम्मान दो
दिल के उजाले चुकते ही फिर अंधेरी रात है
स्नेह का अंकुर प्रस्फुटित हो तो कोई बात है।
कुसुम कोठारी।
स्नेह का एक अंकुर प्रस्फुटित हो तो कोई बात है।
धर्म को ना आड बना के दुश्मनी पालो
खून बहो किसी का भी होता आखिर खून है
पीछे रह जाती सिसकियां और चित्कार है
जाना तो सब को आखिर एक ही राह है
वहाँ जाने वालो की कौन पूछता जात है
स्नेह का अंकुर प्रस्फुटित हो तो कोई बात है।
अपने ही मद मे फूलता हर नादां इंसान है
काल सिरहाने खडा करता निशब्द हास है
एक पैसा तक तो जा पाता नही साथ है
संचय करता धन के साथ कितना पाप है
पतझर आते ही देखो पेडों से झरते पात है
स्नेह का अंकुर प्रस्फुटित हो तो कोई बात है।
कितने आये चले गये विश्व विजय का ध्येय लिये
रावण जैसे यूं गये कि वंश दीप तक नही रहे
अहंकार और स्वार्थ का ना तुम संसार रचो
अनेकांत के मार्ग पर चल सभी को सम्मान दो
दिल के उजाले चुकते ही फिर अंधेरी रात है
स्नेह का अंकुर प्रस्फुटित हो तो कोई बात है।
कुसुम कोठारी।
बहुत ही सुंदर
ReplyDeleteउम्दा
जी सादर आभार ।
Deleteबेहतरीन लेखन
ReplyDeleteआभार मीता
Deleteवाह वाह वाह दीदी जी
ReplyDeleteअनमोल संदेश लिए लाजवाब रचना
स्नेह आभार आंचल बहन ।
Deleteबहुत ही सुंदर संदेश परक रचना प्रिय कुसुम बहन |सचमुच सब यही कुछ समझ जाएँ तो जीवन कितना सुहाना हो जाए | सस्नेह शुभकामनायें बहन -
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