Saturday, 9 June 2018

पावस का पहला संगीत

पावस का पहला संगीत

आज चली कुछ
हल्की हल्की सी पुरवाई
एक भीनी सौरभ से
भर गई  सभी दिशाऐं
मिट्टी महकी सौंधी सौंधी
श्यामल बदरी छाई
कर लो सभी स्वागत
देखो देखो बरखा आई
कितना झुलसा तन धरती का
आग सूरज ने बरसाई
अब देखो खेतीहरों के
नयनों भी खुशियाँ छाई
आजा रे ओ पवन झकोरे
थाप लगा दे नीरद पर
अब तूं बदरी बिन बरसे
नही यहां से जाना
कब से बाट निहारे तेरी
सूखा तपता सारा जमाना
मिट्टी,खेत,खलिहान की
मिट जाए अतृप्त प्यास
आज तूझे बरसना होगा
मिलजुल करते जन अरदास ।
           कुसुम  कोठारी ।

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