कुसुम की कुण्डलियाँ - १०
३७ विषय-विनती
विनती है माँ पाद में , झांकी देख निहाल ।
तेरी छवि को देखके ,झुकता मेरा भाल ।
झुकता है मुझ भाल , बुद्धि से भर दे झोली ।
गाऊं मैं गुणगान ,बोल के मीठी बोली ।
कहे कुसुम कर जोड़ , बैन अंतर से सुनती ।
वीणा शोभित हाथ , शुभ्र वसना सुन विनती ।।
३८ विषय-भावुक
कैसी बेड़ी में फँसा ,भावुक मन अनजान ।
अविनाशी ये जीव है , मानो अरे सुजान ।
मानो अरे सुजान , परख लो करनी अपनी ।
छोड़ सकल ही राग , ब्रह्म की माला जपनी ।
सदा भावना शुद्ध , रहे पावन बस ऐसी ।
मुक्त रहें हर प्राण , पाँव में बेड़ी कैसी ।।
३९ विषय-धरती
धरणी धरती क्षिति धरा ,तेरे कितने नाम ।
वसुन्धरा हे मेदिनी , सब मानव के धाम ।
सब मानव के धाम ,मही तू कितनी प्यारी ।
वसुधा,अचला,मान , कामिनी सी तू न्यारी ।
कहे कुसुम ये बात , जले दोनों ज्यों अरणी ।
नारी तू भी भूमि , क्षमा में जैसे धरणी ।।
४० विषय-मानव
मानव सुन तन दीप में ,डाल सुमति का तेल ।
ज्ञान रूप बाती जला , जग में फैले मेल ।
जग में फैले मेल , करो बस सुंदर करनी ।
सत्य एक बस जान , कर्म जैसी ही भरनी ।
कहे कुसुम सुन बात , हृदय से मारो दानव ।
रखो प्रेम सद्भाव , बनो सज्जन तुम मानव ।।
कुसुम कोठारी।
३७ विषय-विनती
विनती है माँ पाद में , झांकी देख निहाल ।
तेरी छवि को देखके ,झुकता मेरा भाल ।
झुकता है मुझ भाल , बुद्धि से भर दे झोली ।
गाऊं मैं गुणगान ,बोल के मीठी बोली ।
कहे कुसुम कर जोड़ , बैन अंतर से सुनती ।
वीणा शोभित हाथ , शुभ्र वसना सुन विनती ।।
३८ विषय-भावुक
कैसी बेड़ी में फँसा ,भावुक मन अनजान ।
अविनाशी ये जीव है , मानो अरे सुजान ।
मानो अरे सुजान , परख लो करनी अपनी ।
छोड़ सकल ही राग , ब्रह्म की माला जपनी ।
सदा भावना शुद्ध , रहे पावन बस ऐसी ।
मुक्त रहें हर प्राण , पाँव में बेड़ी कैसी ।।
३९ विषय-धरती
धरणी धरती क्षिति धरा ,तेरे कितने नाम ।
वसुन्धरा हे मेदिनी , सब मानव के धाम ।
सब मानव के धाम ,मही तू कितनी प्यारी ।
वसुधा,अचला,मान , कामिनी सी तू न्यारी ।
कहे कुसुम ये बात , जले दोनों ज्यों अरणी ।
नारी तू भी भूमि , क्षमा में जैसे धरणी ।।
४० विषय-मानव
मानव सुन तन दीप में ,डाल सुमति का तेल ।
ज्ञान रूप बाती जला , जग में फैले मेल ।
जग में फैले मेल , करो बस सुंदर करनी ।
सत्य एक बस जान , कर्म जैसी ही भरनी ।
कहे कुसुम सुन बात , हृदय से मारो दानव ।
रखो प्रेम सद्भाव , बनो सज्जन तुम मानव ।।
कुसुम कोठारी।
वाह!!!
ReplyDeleteलाजवाब कुण्डलियाँ...
बहुत बहुत आभार सखी।
Deleteवाह!बेहतरीन कुण्डलियाँ 👌👌👌
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सखी।
Deleteअद्भुत !!
ReplyDeleteसभी कुंडलियां मनमोहक भावों से सुसज्जित ।
बेहतरीन व लाजवाब सृजन ।
बहुत बहुत आभार आपका मीना जी।
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