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Saturday, 1 February 2020

अभी न होगा मेरा अंत

अभी न होगा मेरा अंत

अभी-अभी तो आया हूं मैं
जाने की क्यों बात अभी
अभी-अभी अंकुर फ़ूटे हैं
शैशव की है बात अभी।

हेम अंत पर आता हूं मैं
भू रसवंती का उत्थान
पत्ता-पत्ता  बूटा-बूटा
हूं निसर्ग का प्रतिदान
अभी-अभी सुधा भरनी है
वर्तुल ना हो रिक्त अभी।

डाल-डाल हरियाली होगी
चप्पा चप्पा महकेगा
धरती लेगी जब अंगड़ाई
हर पौधे पर फूल खिलेगा
अभी-अभी यौवन आया है
नहीं जरा से बात अभी।

करने कितने काम जहाँ में
सोते भाग्य जगाने है
अपनी कर्मठता के बल पर
नभ से तारे लाने हैं
अभी-अभी तो जोश भरा है
सोने की ना बात अभी ।

लटे संवारू आसमान की
स्वर्ग भूमि  पर पाना है
सूर्य उजास भर कर मुठ्ठी में
हर -घर उजियारा लाना है
अभी-अभी उमंगे जागी
रोने की ना बात अभी।

अभी आँखें खोली है
नहीं अंत की बात अभी।।

कुसुम कोठारी।

26 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 03 फरवरी 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. जी सादर आभार आपका पाँच लिंक पर रचना का आना सदा सुखदाई है।
      सादर।

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  2. बहुत शानदार सृजन दी।
    हर बंध सकारात्मकता से भरपूर है।
    शब्द शिल्प और भाव अति उत्तम।
    बधाई दी।

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    1. आपकी प्रतिक्रिया से लेखन को सचमुच उर्जा मिलती है ।
      बहुत बहुत स्नेह आभार प्रिय श्वेता।

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  3. सदैव की तरह सुंदर , सकरात्मक एवं मनमोहक सृजन.
    प्रणाम दी।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका भाई।

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  4. डाल-डाल हरियाली होगी
    चप्पा चप्पा महकेगा
    धरती लेगी जब अंगड़ाई
    हर पौधे पर फूल खिलेगा
    अभी-अभी यौवन आया है
    नहीं जरा से बात अभी।
    वाह बेहद खूबसूरत रचना सखी 👌

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    1. आपकी प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई सखी ढेर सा स्नेह आभार।

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  5. वाह दी शानदार रचना 👏 👏

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    1. आपको पसंद आई रचना को प्रवाह मिला प्रिय बहन।

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  6. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (03-02-2020) को 'सूरज कितना घबराया है' (चर्चा अंक - 3600) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    *****
    रवीन्द्र सिंह यादव



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    1. वाह चर्चा मंच पर रचना रखने के लिए आपका हार्दिक आभार भाई।

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  7. उमंग भर देने वाली
    प्राण फूंकने वाली
    ऊर्जा देने वाली रचना।

    नई पोस्ट पर आपका स्वागत है- लोकतंत्र 

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना को गति मिली।
      सधन्यवाद।
      जी मैं लोकतंत्र पर कभी की जाकर आई हूं ।
      सादर।

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  8. वाह!!!!
    बहुत ही लाजवाब सकारात्मकता से ओतप्रोत लयबद्ध
    अप्रतिम सृजन...।
    करने कितने काम जहाँ में
    सोते भाग्य जगाने है
    अपनी कर्मठता के बल पर
    नभ से तारे लाने हैं
    अभी-अभी तो जोश भरा है
    सोने की ना बात अभी ।
    वाह वाह...

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    1. सुधाजी आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया सदा मन को आनंदित करती है ,
      सस्नेह आभार आपका।

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  9. वाह वाह सुन्दर
    लटें स्वारुं आसमान की
    स्वर्ग भूमि पर पाना है
    सूर्य उजास भरकर मुट्ठी में
    हर घर उजियारा लाना है
    अभी अभी उमंगे जागी है ,बेहतरीन प्रस्तुति कुसुम जी

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    1. बहुत बहुत आभार आपका ,उत्साह वर्धन हुआ आपकी ऊर्जा वान प्रतिक्रिया से।

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  10. प्रशंसनीय

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
      ब्लाग पर आपकी उपस्थिति उत्साह वर्धक है।
      सादर।

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  11. ऊर्जा और उत्साह से भरपूर अति सराहनीय और सुन्दर सृजन कुसुम जी ।

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  12. बहुत बहुत स्नेह आभार आपका ,
    आपकी प्रतिक्रिया से उत्साह वर्धन हुआ।

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  13. लटे संवारू आसमान की
    स्वर्ग भूमि पर पाना है
    सूर्य उजास भर कर मुठ्ठी में
    हर -घर उजियारा लाना है
    अभी-अभी उमंगे जागी
    रोने की ना बात अभी

    बहुत खूब ,लाज़बाब सृजन कुसुम जी ,सादर नमस्कार आपको

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  14. नहीं जरा से बात अभी.....बहुत ही आशा से भरी और जीवन से भरपूर पंक्तियाँ 👌👌👌👌👌👌👌

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  15. करने कितने काम जहाँ में
    सोते भाग्य जगाने है
    अपनी कर्मठता के बल पर
    नभ से तारे लाने हैं
    अभी-अभी तो जोश भरा है
    सोने की ना बात अभी ।

    वाह वाह बहुत खूब

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  16. बहुत सुंदर नवगीत है आपका, अभी-अभी अंकुर फ़ूटे हैं
    शैशव की है बात अभी।

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