अभी न होगा मेरा अंत
अभी-अभी तो आया हूं मैं
जाने की क्यों बात अभी
अभी-अभी अंकुर फ़ूटे हैं
शैशव की है बात अभी।
हेम अंत पर आता हूं मैं
भू रसवंती का उत्थान
पत्ता-पत्ता बूटा-बूटा
हूं निसर्ग का प्रतिदान
अभी-अभी सुधा भरनी है
वर्तुल ना हो रिक्त अभी।
डाल-डाल हरियाली होगी
चप्पा चप्पा महकेगा
धरती लेगी जब अंगड़ाई
हर पौधे पर फूल खिलेगा
अभी-अभी यौवन आया है
नहीं जरा से बात अभी।
करने कितने काम जहाँ में
सोते भाग्य जगाने है
अपनी कर्मठता के बल पर
नभ से तारे लाने हैं
अभी-अभी तो जोश भरा है
सोने की ना बात अभी ।
लटे संवारू आसमान की
स्वर्ग भूमि पर पाना है
सूर्य उजास भर कर मुठ्ठी में
हर -घर उजियारा लाना है
अभी-अभी उमंगे जागी
रोने की ना बात अभी।
अभी आँखें खोली है
नहीं अंत की बात अभी।।
कुसुम कोठारी।
अभी-अभी तो आया हूं मैं
जाने की क्यों बात अभी
अभी-अभी अंकुर फ़ूटे हैं
शैशव की है बात अभी।
हेम अंत पर आता हूं मैं
भू रसवंती का उत्थान
पत्ता-पत्ता बूटा-बूटा
हूं निसर्ग का प्रतिदान
अभी-अभी सुधा भरनी है
वर्तुल ना हो रिक्त अभी।
डाल-डाल हरियाली होगी
चप्पा चप्पा महकेगा
धरती लेगी जब अंगड़ाई
हर पौधे पर फूल खिलेगा
अभी-अभी यौवन आया है
नहीं जरा से बात अभी।
करने कितने काम जहाँ में
सोते भाग्य जगाने है
अपनी कर्मठता के बल पर
नभ से तारे लाने हैं
अभी-अभी तो जोश भरा है
सोने की ना बात अभी ।
लटे संवारू आसमान की
स्वर्ग भूमि पर पाना है
सूर्य उजास भर कर मुठ्ठी में
हर -घर उजियारा लाना है
अभी-अभी उमंगे जागी
रोने की ना बात अभी।
अभी आँखें खोली है
नहीं अंत की बात अभी।।
कुसुम कोठारी।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 03 फरवरी 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी सादर आभार आपका पाँच लिंक पर रचना का आना सदा सुखदाई है।
Deleteसादर।
बहुत शानदार सृजन दी।
ReplyDeleteहर बंध सकारात्मकता से भरपूर है।
शब्द शिल्प और भाव अति उत्तम।
बधाई दी।
आपकी प्रतिक्रिया से लेखन को सचमुच उर्जा मिलती है ।
Deleteबहुत बहुत स्नेह आभार प्रिय श्वेता।
सदैव की तरह सुंदर , सकरात्मक एवं मनमोहक सृजन.
ReplyDeleteप्रणाम दी।
बहुत बहुत आभार आपका भाई।
Deleteडाल-डाल हरियाली होगी
ReplyDeleteचप्पा चप्पा महकेगा
धरती लेगी जब अंगड़ाई
हर पौधे पर फूल खिलेगा
अभी-अभी यौवन आया है
नहीं जरा से बात अभी।
वाह बेहद खूबसूरत रचना सखी 👌
आपकी प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई सखी ढेर सा स्नेह आभार।
Deleteवाह दी शानदार रचना 👏 👏
ReplyDeleteआपको पसंद आई रचना को प्रवाह मिला प्रिय बहन।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (03-02-2020) को 'सूरज कितना घबराया है' (चर्चा अंक - 3600) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
*****
रवीन्द्र सिंह यादव
वाह चर्चा मंच पर रचना रखने के लिए आपका हार्दिक आभार भाई।
Deleteउमंग भर देने वाली
ReplyDeleteप्राण फूंकने वाली
ऊर्जा देने वाली रचना।
नई पोस्ट पर आपका स्वागत है- लोकतंत्र
जी बहुत बहुत आभार आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना को गति मिली।
Deleteसधन्यवाद।
जी मैं लोकतंत्र पर कभी की जाकर आई हूं ।
सादर।
वाह!!!!
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब सकारात्मकता से ओतप्रोत लयबद्ध
अप्रतिम सृजन...।
करने कितने काम जहाँ में
सोते भाग्य जगाने है
अपनी कर्मठता के बल पर
नभ से तारे लाने हैं
अभी-अभी तो जोश भरा है
सोने की ना बात अभी ।
वाह वाह...
सुधाजी आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया सदा मन को आनंदित करती है ,
Deleteसस्नेह आभार आपका।
वाह वाह सुन्दर
ReplyDeleteलटें स्वारुं आसमान की
स्वर्ग भूमि पर पाना है
सूर्य उजास भरकर मुट्ठी में
हर घर उजियारा लाना है
अभी अभी उमंगे जागी है ,बेहतरीन प्रस्तुति कुसुम जी
बहुत बहुत आभार आपका ,उत्साह वर्धन हुआ आपकी ऊर्जा वान प्रतिक्रिया से।
Deleteप्रशंसनीय
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
Deleteब्लाग पर आपकी उपस्थिति उत्साह वर्धक है।
सादर।
ऊर्जा और उत्साह से भरपूर अति सराहनीय और सुन्दर सृजन कुसुम जी ।
ReplyDeleteबहुत बहुत स्नेह आभार आपका ,
ReplyDeleteआपकी प्रतिक्रिया से उत्साह वर्धन हुआ।
लटे संवारू आसमान की
ReplyDeleteस्वर्ग भूमि पर पाना है
सूर्य उजास भर कर मुठ्ठी में
हर -घर उजियारा लाना है
अभी-अभी उमंगे जागी
रोने की ना बात अभी
बहुत खूब ,लाज़बाब सृजन कुसुम जी ,सादर नमस्कार आपको
नहीं जरा से बात अभी.....बहुत ही आशा से भरी और जीवन से भरपूर पंक्तियाँ 👌👌👌👌👌👌👌
ReplyDeleteकरने कितने काम जहाँ में
ReplyDeleteसोते भाग्य जगाने है
अपनी कर्मठता के बल पर
नभ से तारे लाने हैं
अभी-अभी तो जोश भरा है
सोने की ना बात अभी ।
वाह वाह बहुत खूब
बहुत सुंदर नवगीत है आपका, अभी-अभी अंकुर फ़ूटे हैं
ReplyDeleteशैशव की है बात अभी।