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Saturday, 8 February 2020

कुसुम की कुण्डलियाँ-९

कुसुम की कुण्डलियाँ-९

३३ विषय-विजयी
दानव विजयी मात हे , विजया तुझे प्रणाम ।
भीति भगवती भंजना ,सुखद सकल परिणाम।
सुखद सकल परिणाम ,क्लेश  काया के हरती।
जग में शुचि विस्तार , हर्ष के वर्तुल भरती ।
कहे कुसुम कर जोड़ , कठिन भव पाया  मानव ।
तू कर परोपकार , भगा दे मन का दानव ।।

३४ विषय-भारत
भारत देश महान है , हम सब का सम्मान ।
सब राष्ट्रों में श्रेष्ठ ये, हिन्द मान बहुमान ।
हिन्द मान बहुमान , शीश पर ताज हिमाला ।
सागर पाँव पखार ,बाँह  नदियों की माला ।
कहे कुसुम ये बात , ऋचाएं और सगारत ।
कर्म करें सब शुद्ध , सदा शुचिता मम भारत ।।

३५ विषय- छाया
छाया गहरी शांत है , सूरज जैसा रंग ।
प्यारे लगते पथिक को  ,उष्ण राह में संग ।
उष्ण राह में संग ,  खिले रहते मन भावन ।
कृष्ण चूड़ तुम नाम , तुम्ही संत और सावन ।
कहे कुसुम ये बात, रूप है अनुपम पाया ,
आ राही तू बैठ, सरस गुलमोहर  छाया ।।

३६ विषय-निर्मल
बिखरे नभ सारंग है , निर्मल श्वेत वलक्ष ।
नीलांबर से झांकते , भागे भोर अलक्ष ।
भागे भोर अलक्ष ,  व्योम आंगन में खेले ।
मेघों के ये माल ,थाप समीर की झेले ।
कहे कुसुम ये बात  ,विभा में आभा  निखरे ‌।
शुक्ल हय के सवार , पवन प्रहार से बिखरे ।।

कुसुम कोठारी।

9 comments:

  1. वाह !!!
    एक से बढ़कर एक लाजवाब कुण्डलियाँ

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    1. बहुत बहुत आभार सुधा जी आपकी प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ।

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  2. बहुत सुंदर और सार्थक भाव
    है दी।

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    1. बहुत बहुत आभार भाई आपका।

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  3. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण कुंडलियां कुसुम जी ।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका मीना जी ,आपकी प्रतिक्रिया से उत्साह वर्धन हुआ।

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  4. बहुत अच्छी कुण्डलियाँ, बधाई.

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    1. बहुत बहुत आभार आपका जेन्नी जी।
      ब्लाग पर आपको देखकर बहुत खुशी हुई।
      सदा स्नेह बनाए रखें।

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  5. बेहद खूबसूरत कुण्डलियाँ सखी 👌

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