नवरात्री शुभारंभ की हार्दिक शुभकामनायें ।
नारी सिर्फ नाजुक नही है
जरूरत पडे कटार भी है
चंदा की शीतलता ही नही
उसमे सूर्य सी आग भी है
फूलों सी नाजुक ही सही
दुर्गा का अवतार भी है
संदल की महक ही नही
हवन का लोबान भी है
पायल की रुनझुन ही नही
शिव का ताणडव भी है।
कुसुम कोठारी।
वाह !!! बहुत खूब .... शानदार रचना
ReplyDeleteआभार मित्र जी।
Deleteवाह्ह्ह...बेहद उम्दा दी प्रेरक👌👌
ReplyDeleteनववर्ष एवं नवरात्र की हार्दिक मंगलकामनाएँ मेरी स्वीकार करें।
सपरिवार कुशल रहे स्वस्थ्य रहें प्रसन्न रहे सुख सौभाग्य से परिपूर्ण रहे यही कामना है मेरी।
जय माता की🙏
स्नेह आभार श्वेता।
Deleteआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2018/03/61.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteसादर आभार मेरी रचना को मान देने के लिये।
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteजी आभार बहुत सा।
Deleteनारी शक्ति है ... स्वयं में पूर्ण है ...
ReplyDeleteसुंदर रचना ...
सादर आभार आपकी प्रतिक्रिया से रचना अपना अर्थ पा गई।
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