गुरु पूर्णिमा पर सादर
ज्ञान उजागर विद्या सागर
तेज पुंज बन तम को हरते।
नव उर्जा के अभियंता है
जीवन में जो आभा भरते।
गुरु बिन ज्ञान न कोई पाता
अनुभव का वो पाठ पढ़ाते
लोहे को जो कनक बनादे
सच्चाई की राह दिखाते
कारीगर कुम्हार सरीखे
अहंकार का मर्दन करते ।।
प्रज्ञ मर्मज्ञ धीमान् भी वो
दीपक लौ मेधा की बाती ।
अभिनव इक पहचान बनाते
अज्ञान शत्रु के जो घाती।
नमन हृदय से ऐसे गुरु को
हाथ शीश अपना जो धरते।।
माँ शारद से पहले वंदन
करती हूं मैं गुरु चरणों में।
क्या लिख पाऊं महिमा उनकी
निशब्द मूक चंद वरणों में।
अपने अनुगामी के हित को
कहने से जो कभी न डरते।।
कुसुम कोठारी'प्रज्ञा'
ज्ञान उजागर विद्या सागर
तेज पुंज बन तम को हरते।
नव उर्जा के अभियंता है
जीवन में जो आभा भरते।
गुरु बिन ज्ञान न कोई पाता
अनुभव का वो पाठ पढ़ाते
लोहे को जो कनक बनादे
सच्चाई की राह दिखाते
कारीगर कुम्हार सरीखे
अहंकार का मर्दन करते ।।
प्रज्ञ मर्मज्ञ धीमान् भी वो
दीपक लौ मेधा की बाती ।
अभिनव इक पहचान बनाते
अज्ञान शत्रु के जो घाती।
नमन हृदय से ऐसे गुरु को
हाथ शीश अपना जो धरते।।
माँ शारद से पहले वंदन
करती हूं मैं गुरु चरणों में।
क्या लिख पाऊं महिमा उनकी
निशब्द मूक चंद वरणों में।
अपने अनुगामी के हित को
कहने से जो कभी न डरते।।
कुसुम कोठारी'प्रज्ञा'
बहुत सुंदर रचना सखी, गुरु पूर्णिमा की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 💐💐
ReplyDeleteबहुत आभार सखी, अपको भी हार्दिक शुभकामनाएं।
Deleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में वार 07 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
वार= मंगलवार
Deleteजी सादर आभार।
Deleteमैं अवश्य उपस्थित रहूंगी।
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (7 -7 -2020 ) को "गुरुवर का सम्मान"(चर्चा अंक 3755) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
बहुत बहुत आभार आपका मैं अवश्य उपस्थित रहूंगी मंच पर।
Deleteसादर।
गुरू पूर्णिमा पर रची गई सुन्दर रचना।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
Deleteबहुत सुंदर गुरुओं को समर्पित रचना
ReplyDeleteमाँ शारद से पहले वंदन
ReplyDeleteकरती हूं मैं गुरु चरणों में।
क्या लिख पाऊं महिमा उनकी
निशब्द मूक चंद वरणों में।
अपने अनुगामी के हित को
कहने से जो कभी न डरते।।
बहुत ही सुंदर गुरु वंदना ,सादर नमन कुसुम जी
उत्साहवर्धन करती सुंदर प्रतिक्रिया कामिनी जी ।
Deleteसस्नेह आभार आपका।
वाह !बहुत ही सराहनीय नवगीत रचा है आपने आदरणीय कुसुम दीदी.कल कल बहती गुरु की महिमा समझ नहीं आता कौनसा बंद चुनु.निशब्द गुरुपूर्णिमा पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं.
ReplyDeleteसादर प्रणाम
बहुत सा स्नेह आभार बहना आपके निश्छल शब्द मुझे सदा नये उत्साह से भर देते हैं ।
Deleteढेर सारा स्नेह।
गुरू के सम्मान में अत्यंत सुन्दर भावाभिव्यक्ति👌👌👌👌
ReplyDeleteआपकी टिप्पणी से लेखन सार्थक हुआ मीना जी ।
Deleteबहुत बहुत आभार आपका।
गुरु की महिमा को मान मंडित करते भाव ...
ReplyDeleteसच है गुरु ही मार्ग दिखाता है और गतव्य का भान कराता है ... बहुत सार्थक प्रस्तुति ...
प्रिय कुसुम बहन , गुरुदेव के लिए जो कहा जाए , लिखा जाए बहुत ही कम है | भावपूर्ण प्रस्तुति जो गुरुदेव के प्रति कृतज्ञ भावों से भरी है | आपको हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई |
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