प्रार्थना
प्रार्थना की खुशबू पहुँचे तुझ तक
ऐसा एक दृढ़ विश्वास कर लूँ ।
आज मैं अपने आँसू को गंगा
और भक्ति को पुराण कर दूँ ।
दीप जलाऊ निज मन आस्था का
सभी हल्के कर्मो को धूप कर दूँ ।
मन प्राण में आह्लाद जगा लूँ
आत्मा को जोत कर दूँ ।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार (१९-०७-२०२०) को शब्द-सृजन-३०'प्रार्थना/आराधना' (चर्चा अंक-३७६७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
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अनीता सैनी
बहुत बहुत आभार आपका,मैं मंच पर उपस्थिति देकर सभी रचनाकारों को पढ़कर आ रही हूं।
Deleteपुनः आभार चर्चा मंच पर रचना को शामिल करने के लिए।
मन प्राण में आह्लाद जगा लूँ
ReplyDeleteआत्मा को जोत कर दूँ ।
जोत सी ले ये आत्मा!!!!
सुन्दर भावों से सजी लाजवाब प्रार्थना।
सुधा जी आपकी स्नेहिल उपस्थिति सदा उत्साहवर्धक होती है ।
Deleteढेर सा स्नेह।
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर प्रार्थना,सादर नमन कुसुम जी
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका कामिनी जी।
Deleteउत्साहवर्धन करती आपकी उपस्थिति ।